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Pink Boll Worm (गुलाबी सुंडी)
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Oak(Baanj tree)
Table of Contents बाँज या बलूत या शाहबलूत एक तरह का वृक्ष है जिसे अंग्रेज़ी में ‘ओक’ (Oak) कहा जाता है। बाँज (Oak) फागेसिई (Fagaceae) कुल के क्वेर्कस (quercus) गण का एक पेड़ है। इसकी लगभग ४०० किस्में ज्ञात हैं, जिनमें कुछ की लकड़ियाँ बड़ी मजबूत और रेशे सघन होते
farmer honor conference(kisan samman sammelan)
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बाँज या बलूत या शाहबलूत एक तरह का वृक्ष है जिसे अंग्रेज़ी में 'ओक' (Oak) कहा जाता है। बाँज (Oak) फागेसिई (Fagaceae) कुल के क्वेर्कस (quercus) गण का एक पेड़ है। इसकी लगभग ४०० किस्में ज्ञात हैं, जिनमें कुछ की लकड़ियाँ बड़ी मजबूत और रेशे सघन होते हैं। इस कारण ऐसी लकड़ियाँ निर्माणकाष्ठ के रूप में बहुत अधिक व्यवहृत होती है।
ओक के पेड़ का दूसरा नाम क्या है?
सामान्य नाम क्वेरकस लैटिन में "ओक" के लिए है, जो प्रोटो-इंडो-यूरोपीय *क्वेर्कवु-, "ओक" से लिया गया है, जो इंडो-यूरोपीय संस्कृति में एक और महत्वपूर्ण या पवित्र पेड़ "फ़िर" नाम का मूल भी है। कॉर्क ओक की छाल के लिए "कॉर्क" शब्द भी इसी तरह क्वेरकस से निकला है।
कैसे ओक के फल से ओक का पेड़ उगाएं
- एकॉर्न (Acorn) चुनें और बोएं
- सीडलिंग को ट्रांसप्लांट (Transplant) करें
- बढ़ते हुए ओक के पेड़ की देखभाल करें
Step 1 जब पतझड़ का मौसम शुरू हो तो आप एकॉर्न एकत्र करें: पतझड़ की शुरुआत या उसके बीच में जब एकॉर्न पेड़ से नीचे न गिरे हों तब उनकी कटाई करना सबसे अच्छा होता है।[१] आप ऐसे एकॉर्न चुनें जिनमें कीड़े, छेद, और फंगस न हों। वे भूरे रंग के हों और उनमें हल्का सा हरापन बाकी हो तो अच्छा है।[२] लेकिन भिन्न टाइप के ओक के पेड़ों के एकॉर्न देखने में अलग-अलग तरह के हो सकते हैं। आमतौर पर जब एकॉर्न को कैप में से बिना फाड़े निकालना संभव हो जाता है तब एकॉर्न को एकत्र करने लिए तैयार माना जाता है।
- नोट करें कि कैप एकॉर्न का हिस्सा नहीं है, वह केवल एक (अलग) सुरक्षात्मक कवर है। अगर आप एकॉर्न को फाड़े बिना कैप में से निकालेंगे तो उसे नुकसान नहीं पहुंचेगा।
- संभव हो तो आप गर्मियों में सूटेबल पेड़ों को खोजें। आप ऐसे पेड़ों की खोज करें जो परिपक्व हों और आप जिनके एकॉर्न को एक सीढ़ी या लंबे डंडे की मदद से तोड़ सकें।
- रेड ओक (red oak), जैसे कुछ किस्म के ओक के एकॉर्न एक साल के बजाय दो साल में परिपक्व होते हैं। गर्मियों में सूटेबल पेड़ों की खोज करते समय इस बात को ध्यान में रखें कि कुछ ओक के पेड़ों के एकॉर्न पतझड़ के मौसम में तैयार हो जायेंगे लेकिन बाकी पेड़ों के एकॉर्न अगले साल तक रेडी होंगे।
Step 2 एक "फ्लोट टेस्ट" (float test) करें: आपने जो एकॉर्न एकत्र करें हैं उनको एक पानी से भरी हुई बाल्टी में डालें। एक - दो मिनट इंतज़ार करें और उन्हें बैठने दें। फिर जो एकॉर्न ऊपर तैर रहे हों उनको निकालकर फेंक दें क्योंकि वे खराब हैं।
Step 3 बाकी एकॉर्न को हाइबरनेट (hybernate) करें: "अच्छे" वाले एकॉर्न को पानी में से निकालें और उनको सुखाएं। उनको एक बड़े ज़िप वाले बैग में लकड़ी के बुरादे (sawdust), वर्मीक्यूलाइट (एक पीले या भूरे रंग का मिनरल जिसे बढ़ते हुए पौधों के लिए नमी को बरक़रार रखने के माध्यम जैसे यूज़ किया जाता है), पीट मिक्स (peat mix) या अन्य कोई विकास का माध्यम जो नमी को बरक़रार रख सकता है, के साथ रखें। बड़े बैग्स में आप करीब 250 एकॉर्न फिट कर सकते हैं। बैग को फ्रिज में डेढ़ महीने या उससे ज्यादा समय के लिए - नए ओक के अंकुरित होने के लिए जितने समय की ज़रूरत हो, उतने दिन तक रखना चाहिए।
- इस प्रक्रिया को स्तर-विन्यास (stratification) कहते हैं। इसमें बीज को ठंडे टेम्प्रेचर के संपर्क में रखा जाता है ताकि वह उन्हीं नेचुरल परिस्थितियों का अनुभव करे जो वह पेड़ से जमीन पर गिरने के बाद करता। ये बीज को वसंत में अंकुरित होने के लिए तैयार करता है।
- समय-समय पर अपने एकॉर्न को चेक करें: आपने उनको जिस विकास के माध्यम में रखा है उसे केवल नम होना चाहिए। अगर वह ज्यादा गीला होगा तो एकॉर्न सड़ जायेंगे। यदि वह बहुत ज्यादा सूखा होगा तो हो सकता है कि एकॉर्न विकसित न हों।
Step 4 एकॉर्न के विकास पर नज़र रखें: जब वे फ्रिज में रखे हुए होंगे तब भी अधिकांश एकॉर्न नमी की उपस्थिति में अंकुरित होना शुरू कर देंगे। दिसम्बर (पतझड़ का अंतिम चरण, सर्दी का मौसम शुरू होने पर) की शुरुआत में उनकी जड़ें शेल में से बाहर निकलना शुरू कर सकती हैं। चाहें उनकी जड़ें शेल में से निकली हों या नहीं, करीब 40 – 45 दिनों तक स्टोर करने के बाद एकॉर्न बोने के लिए तैयार होते हैं।
- अंकुरों या सीडलिंग्स (seedlings) को सावधानीपूर्वक हैंडल करें क्योंकि उनकी नयी जड़ों को आसानी से नुकसान पहुँच सकता है।
Step 5 हर एकॉर्न को एक पॉट या कंटेनर में बोयें: आप अपने पौधों के लिए काफी छोटी साइज़ के, करीब 2” (5 cm) व्यास वाले बागवानी के पॉट्स लें (आप चाहें तो बड़े स्टायरोफोम के कप्स या दूध के कार्टन्स भी ले सकते हैं)। उनमें अच्छी क्वालिटी की गमले में डालने वाली मिट्टी या पॉटिंग सॉइल भरें (कुछ लोग उनमें पिसी हुई स्फाग्नम मॉस - milled sphagnum moss - डालने की सलाह देते हैं)।[५] ) पानी डालने के लिए उनके ऊपर के हिस्से में करीब 1” (2.5 cm) जगह छोड़ दें। एकॉर्न को सतह के ठीक नीचे इस तरह बोयें कि उनके जड़ वाले हिस्से नीचे की ओर हों।
- यदि आप स्टायरोफोम कप या दूध का कार्टन यूज़ कर रहे हैं तो कप की साइड्स में, नीचे के हिस्से के पास छेद बनायें ताकि पानी बाहर निकल सके।
- अगर आप पसंद करें तो एकॉर्न को यार्ड में गाड़ें। उसकी जड़ को एक कम गहरे छेद में गाड़ें और सूटेबल समृद्ध व नरम सॉइल पर एकॉर्न को धीरे से एक तरफ टक करें। ये तरीका तभी काम करेगा जब मुख्य जड़ मज़बूत व लंबी होगी और काफी हद तक एकॉर्न से अलग हो चुकी होगी। लेकिन आपको सतर्क रहना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से चूहे, गिलहरियां, वगैरह सीडलिंग को नष्ट कर सकते हैं। जानवरों से बचने के लिए सीडलिंग के चारोंओर एक बैरियर लगाना सबसे अच्छा होता है।
- यदि आप दक्षिणी गोलार्द्ध में रहते हैं तो आपको सीडलिंग को एक ऐसी खिड़की की देहली पर रखना चाहिए जो उत्तर दिशा में स्थित हो।
- अगर आपकी सीडलिंग को पर्याप्त सूरज की रोशनी नहीं मिल रही है तो आप उस कमी को पूरा करने के लिए इंडोर ग्रो लाइट (indoor grow light) इस्तेमाल करें।
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- 4” से 6” (10 cm – 15 cm) लंबे होते हैं और उनके पत्तियां होती हैं।
- उनकी जड़ें सफेद और स्वस्थ दिखती है।
- उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि वे अपने कंटेनर से ज्यादा बड़े हो गए हैं।
- उनकी मुख्य जड़ काफी विकसित हो चुकी है।
- कुछ हफ्तों या महीनों तक उगाये जा चुके हैं।
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- ध्यान रखें कि आपकी सीडलिंग हवा से सुरक्षित रहे और हवा उसे नष्ट न कर सके।
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- धूप की उपलब्धता – बाकी पौधों की तरह ओक में भी प्रकाश संश्लेषण या फोटोसिंथेसिस होती है यानी कि वह धूप की सहायता से फूड बनाता है, उसे जीवित रहने के लिए धूप की ज़रूरत होती है। इसलिए उसको छाया वाली जगह पर नहीं बोना चाहिए।
- पास में मौजूद फूटपाथ, पानी की लाइन, गड़े हुए पाइप्स, वगैरह – आप ये नहीं चाहेंगे कि जब आपके यार्ड में काम करने की ज़रूरत हो तो आपके पेड़ को नष्ट कर दिया जाये।
- पूरी तरह से बढ़ने के बाद पेड़ कितनी छाया देगा – यदि आप चाहते हैं कि ओक का पेड़ बड़े होकर आपके घर को छाया दे तो आप उसे अपने घर के पश्चिम (west) या दक्षिण पश्चिम (southwest) हिस्से में बोयें। ऐसा करने से वह गर्मियों में सबसे ज्यादा और सर्दियों में सबसे कम छाया देगा।
- नोट – दक्षिण गोलार्द्ध में छाया पाने के लिए पेड़ को आपके घर की पश्चिम या उत्तर पश्चिम (northwest) साइड पर होना चाहिए।
- आसपास के पेड़-पौधे – पौधों की धूप, नमी, और अन्य साधनों को प्राप्त करने के लिए आपस में होड़ रहती है। अपने कम उम्र वाले ओक के पौधे को ऐसी जगह पर न बोयें जहाँ बहुत सारे पेड़- पौधे हैं, नहीं तो, वह कभी भी परिपक्व नहीं हो पायेगा।
- आपको मिट्टी को ओक की सीडलिंग के चारों ओर उससे दूर स्लोप (slope) करते हुए पैक करना चाहिए ताकि पानी पेड़ की ट्रंक पर बैठा न रहे, जो काफी नुकसानदेह हो सकता है।
- पेड़ के चारोंओर करीब 1 फुट (0.3 m) गीली घास (mulch) का घेरा बनायें ताकि मिट्टी की नमी बनी रहे और जंगली घास या वीड्स को उगने का प्रोत्साहन न मिले। ध्यान रखें कि वह पेड़ की स्टेम को न छुए।
- उसको बोने में सफल होने के लिए आप एक ही एरिया में कई एकॉर्न रख सकते हैं। ऐसे में आप 2 कम उम्र वाले सीडलिंग एकॉर्न को, 2 x 2 फुट (61 cm x 61 cm) एरिया को साफ करके, सीधे जमीन में बोयें और उनके ऊपर 1” या 2” (2.5 cm – 5 cm) मिट्टी डालें।
- अगर आप जिस एरिया में रहते हैं वहां आमतौर पर हिरन घूमते रहते हैं तो आपको पेड़ के ऊपर के हिस्से में भी किसी तरह का बैरियर लगाने की ज़रूरत हो सकती है।
- आप पेड़ को एफिड्स (aphids) और जून बग्स (June bugs), जैसे अनेक प्रकार के कीटों से बचाने के लिए कीटनाशकों या पेस्टिसाइड्स (pesticides) को यूज़ कर सकते हैं। पेस्टिसाइड को सावधानीपूर्वक चुनें। केवल ऐसे पेस्टिसाइड इस्तेमाल करें जो आपके पेड़ और परिवार के लिए नुकसानदेह न हों।
- याद रखें कि आपको पेड़ के नीचे के हिस्से या बेस के चारोंओर पानी को एकत्र नहीं होने देना चाहिए। आप इरीगेशन सिस्टम को इस तरह सेट करें कि पानी पेड़ के चारोंओर ड्रिप करे लेकिन सीधे उसकी बेस पर न गिरे। पानी के कारण वह जगह सड़ सकती है।
- आपका ओक का पेड़ 20 साल के अंदर एकॉर्न उत्पन्न करना शुरू कर सकता है। लेकिन ये उसकी जाति पर निर्भर करता है। वह 50 साल से पहले अपनी पूरी क्षमता से एकॉर्न पैदा करना नहीं शुरू करेगा।
सलाह
- जमीन में एक खूंटा लगाकर सीडलिंग के चारोंओर एक स्क्रीन लगायें ताकि जानवर उसे न खा सकें।
- आसपास देखें और पक्का करें कि वह एकॉर्न एक आकर्षक और स्वस्थ पेड़ का है। यदि पेरेंट (parent) पेड़ में कोई खराबी हो तो कोई दूसरा पेड़ जो देखने में ज्यादा अच्छा हो उसके एकॉर्न को लें।
- चाहें जितना भी समय लगे, आप निराश न हों। आप जिस बड़े ओक के पेड़ को देख रहे हैं वह भी आपके एकॉर्न की तरह कभी एक छोटा सा एकॉर्न था।
- लापरवाही न करें और छोटे पौधे को पानी देना न भूलें, नहीं तो, वह मुरझा जायेगा।
- सर्दियों में सीडलिंग को अंदर रखें। अगर आप उसे पतझड़ में उगा रहे हैं तो उसे वसंत तक अंदर रखें।
- पतझड़ के समय ओक के छोटे पेड़ों के भी पत्ते झड़ जाते हैं। इसलिए अगर सारी पत्तियां भूरी हो जाएँ या गिर जाएँ तो आप निराश न हों। वसंत के आने का इंतज़ार करें।
चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी
- बलूत के बीज या एकॉर्न (हरे)।
- प्लास्टिक बैग ।
- फ्रिज ।
- लकड़ी का बुरादा ।
- उगाने के लिए एक पॉट ।
- अच्छी मिट्टी ।
- पानी डालने का कैन ।
पेड़ की विशेषता क्या है?
ओक के पेड़ 150 फीट (45 मीटर) तक ऊंचे हो सकते हैं। उनके तने मोटे और शाखाएँ बड़ी होती हैं जो दूर तक फैली होती हैं। पत्तियों के किनारे गोल, खुरदरे या चिकने हो सकते हैं। ओक के पेड़ पर एक ही पेड़ पर नर और मादा फूल लगते हैं।वृक्ष का सामान्य अर्थ ऐसे पौधे से होता है जिसमें शाखाएँ निकली हों, जो कम से कम दो-वर्ष तक जीवित रहे, जिससे लकड़ी प्राप्त हो। वृक्ष की एक जड़ होती है जो प्रायः ज़मीन के अन्दर होती है, तथा जड़ से निकलकर तना तथा पत्तियां हवा में रहते हैं। यह प्रदूषण कम करने में कारगर सिद्ध हुआ है।
ओक का पेड़ क्यों खास है?
ओक के पेड़ पौधों, कीड़ों, पक्षियों और अन्य जानवरों के विविध मिश्रण को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जहाँ भी वे उगते हैं, जो जंगलों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। वे वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे उन्हें भोजन और घर का स्रोत प्रदान करते हैं। ओक के पेड़ न केवल लचीले और तेजस्वी होते हैं, बल्कि वे ज्ञान, साहस और धीरज का भी प्रतीक हैं । पेड़ की ऊँचाई, लंबी उम्र और गहरी जड़ें यह सुनिश्चित करती हैं कि यह अपने पूरे जीवनकाल में कई घटनाओं को देखता और अनुभव करता है। एक ओक का पेड़ आपकी संपत्ति में एक अनूठा स्पर्श जोड़ सकता है और कई वर्षों तक जीवित रह सकता है।
ओक की पहचान कैसे करें?
ओक के पेड़ की पहचान करने के लिए, ऐसी छाल की तलाश करें जो सख्त, भूरे और पपड़ीदार हो, और जिसमें गहरे खांचे और लकीरें हों। इसके अलावा, पेड़ की पत्तियों की जाँच करें कि क्या उनमें लोब और साइनस पैटर्न है, जो ओक के पत्तों की खासियत है।
सबसे लोकप्रिय ओक का पेड़ कौन सा है?
विभिन्न प्रकार के मौसम और मिट्टी को सहन करने के कारण ओक के पेड़ का सबसे आम प्रकार सफेद ओक (क्वेरकस अल्बा) है।
ओक के पेड़ कितने प्रकार के होते हैं
यह बांज के पेड़ का बीज,जिधर 40,50* डिग्री सेल्सियस तापमान रहता है वहां इनका लगा सकते हैं 10, 10 फीट की दूरी में लगभग 100 पेड़ लगादो यकीन मानिए 500 मीटर तक के दायरे में 20 से 22 डिग्री सेल्सियस तक टेंपरेचर रहेगा | यह वृक्ष जल का साथी है जहां होगा वहां पानी को बरसना ही पड़ेगा इनकी कोई खास देखभाल भी नहीं करनी होती इन पेड़ों की वजह से 5 से 10 सालों में आपका एरिया ऐसा हो जाएगा जैसे हिमालय की ठंडी घाटी हो|
अंग्रेजों ने जिसे पहचाना, अपनों ने उसे नकारा, बांज का पेड़ कर सकता है मालामाल!
उत्तराखंड के जंगलों में पाये जाने वाले बांज के पेड़ की गुणवत्ता को 18वीं सदी में अंग्रेजों ने पहचान लिया था. बांज के टसर से विश्व स्तरीय सिल्क उत्पादन होता है. लेकिन समय के साथ नीति नियंताओं की अनदेखी के कारण बांज अपनी पहचान खोने लगा. इसके अद्भुत गुणों के कारण एक बार फिर से सरकार बांज के जंगलों का सर्वे करा रही है. ताकि प्रदेश में इससे विश्व स्तरीय सिल्क का उत्पादन किया जा सके. बांज का पेड़ (Oak) न केवल प्राकृतिक जल स्रोतों की एक महत्वपूर्ण कड़ी है, बल्कि इसे पहाड़ के कई संस्कारों में पूजनीय भी माना जाता है. अब तक आपने बांज के पेड़ का उपयोग चारा पत्ती के अलावा सीमित रूप में ही देखा होगा. लेकिन बांज के पेड़ का एक ऐसा भी उपयोग हो सकता है, जिससे उत्तराखंड देश में नहीं, बल्कि विश्व भर में अपना एक अलग आयाम स्थापित कर सकता है.
बांज के वैश्विक उपयोग को अंग्रेजों ने पहचाना था
उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट बताते हैं कि देश में पहली दफा वर्ष 1858 में अंग्रेजों ने देहरादून सहित समूचे उत्तराखंड के क्षेत्र को सिल्क उत्पादन के दृष्टिकोण से बेहद मुफीद पाया था. बिष्ट कहते हैं कि अंग्रेजों के एक शोधकर्ता दल जिसके प्रमुख डॉक्टर हटन थे, उन्होंने पाया कि देहरादून की जलवायु और भौगोलिक अनुकूलता शहतूती रेशम (mulberry silk) के लिए बिल्कुल अनुकूल है और यहां पर विश्वस्तर की गुणवत्ता वाले सिल्क का उत्पादन किया जा सकता है|
बांज वृक्ष से टसर सिल्क उत्पादन
अच्छी बात यह थी कि टसर सिल्क ऐसा सिल्क था, जो खासतौर से उत्तराखंड के मूल वृक्ष बांज से प्राप्त होता है. इसकी उत्तराखंड में भरपूर मात्रा है. हालांकि, इतिहासकार कहते हैं कि यह अफसोस की बात है कि उत्तराखंड में बहुतायत मात्रा में पाए जाने वाले बांज के जंगलों में मौजूद जिस टसर सिल्क को अंग्रेजो ने पहचान लिया था, कालांतर के बाद उसके बारे में आज तक बेहद कम ही चर्चा की गई. आज तक बांज केवल पशुओं के चारा पत्ती तक ही सीमित रह गया |
जल स्रोतों की महत्वपूर्ण कड़ी बांज
यह तथ्य ऐतिहासिक है कि जहां पर जल स्रोत होते हैं, उसी के आसपास मानवीय सभ्यता भी पनपती है. यही वजह है कि आज भी पहाड़ों पर जब कोई नवजात जन्म लेता है या फिर विवाह संस्कार होता है तो घर या गांव के पास मौजूद प्राकृतिक जल स्रोत को पूजा जाता है. साथ ही जल स्रोत पर मौजूद पेड़ को भी पूजा जाता है. प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट बताते हैं कि बांज के इसी गुण की वजह से इस पेड़ को देव तुल्य माना जाता है | उत्तराखंड में मौजूद बांज से प्राप्त होने वाले टसर सिल्क की गुणवत्ता का अंग्रेज शोधकर्ता 18वीं सदी में ही कर चुके थे. भले ही इसके बाद इस विषय पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई, लेकिन आज भी जानकार बताते हैं कि उत्तराखंड में 1800 मीटर से लेकर 2000 मीटर तक की ऊंचाई पर पाए जाने वाले बांज के पेड़ से दुनिया का सबसे बेहतर टसर सिल्क मिलता है |
बांज कार्बन का शोषण करता है
यही नहीं बांज के पेड़ के प्राकृतिक प्रभाव के बारे में भी प्रोफेसर बिष्ट बताते हैं कि बांज का पेड़ चौड़ी पत्ती वाला पेड़ है. यह अधिक मात्रा में कार्बन का शोषण करता है और उतनी ही अधिक मात्रा में ऑक्सीजन का उत्सर्जन करता है. साथ ही बांज का पेड़ भू क्षरण यानी धरती के कटाव और भूस्खलन को भी रोकता है|
उत्तराखंड में बांज पर सर्वे जारी
उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर से मिली जानकारी अनुसार पहले चरण में 5 जिले उत्तरकाशी, देहरादून, नैनीताल, उधम सिंह नगर और पिथौरागढ़ का सर्वे किया गया है. वहीं दूसरे चरण में अब 3 जिले पौड़ी गढ़वाल, चमोली और बागेश्वर के सर्वे का काम जारी है. तीसरे चरण में बचे हुए आखिरी 5 जिले रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल, अल्मोड़ा, चंपावत और हरिद्वार का सर्वे किया जाएगा. इस तरह से पूरे प्रदेश में बांज के पेड़ों की उपलब्धता पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी. इस रिपोर्ट में टसर सिल्क का उत्पादन करने वाले अलग-अलग वर्ग के बांज के पेड़ों का सेटेलाइट मैपिंग के जरिए डाटा कलेक्ट किया जा रहा है
तीन जिलों में बांज की उपलब्धता
वर्तमान में बागेश्वर, पौड़ी गढ़वाल और चमोली जिले में दूसरे चरण का सर्वे जारी है. सर्वे में अब तक बागेश्वर में 10,317.68 हेक्टेयर, चमोली जिले में 15,896.94 हेक्टेयर और पौड़ी गढ़वाल में 1,408.93 हेक्टेयर भूमि पर बांज के जंगल उपलब्ध हैं. इस तरह से इन तीनों जिलों में कुल 27,623.55 हेक्टेयर भूमि पर बांज की उपलब्धता है. रेशम विभाग U-SAC और NESAC शिलांग के साथ मिल कर स्टडी कर रहा है|