- भूमि
- तापमान
- उचित समय
- भूमि की तेयारी
- उच्चतम वैरायटी
- बीज उपचार
- बिजाई का तरीका
- बिजाई
- सिंचाई
- खरपतवार नियंत्रण
- रोग नियंत्रण
- अब फसल पकने का इंतजार करें
लहसुन की खेती सभी प्रकार के जीवांशयुक्त भूमि में की जा सकती है लेकिन अधिक ऊपज के लिये जीवांशयुक्त दोमट या फिर चिकनी मिट्टी का प्रयोग किया जाता है ये दोनों मिट्टियां सर्वश्रेष्ठ होती हैं ध्यान रहे दोनों ही मिट्टियों में जैविक पदार्थों की मात्रा अधिक होनी चाहिए यह लहसुन की खेती के लिए लाभदायक साबित होगी और जिसमें जल निकास की व्यवस्था सबसे उपयुक्त होती है ।
लहसून के लिए मुख्यतया 10-30 डिग्री C तापमान होना चाहिए ।
20 अक्टूबर से 20 नवम्बर के बीच का समय बढ़िया माना जाता है ।
मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत को 3-4 बार जोताई करें और मिट्टी में जैविक खनिजों को बढ़ाने के लिए रूड़ी की खाद डालें । खेत को समतल करके क्यारियों और खालियों में बांट दें ।
पीजी 17, यमुना सफ़ेद (जी-1), यमुना सफ़ेद 2(जी-50), भीमा पर्पल ।
प्रति किलो बीज को थीरम 2 ग्राम+ बैनोमाईल 50 डब्लयु पी 1 ग्राम प्रति लीटर पानी से उपचार कर उखेड़ा रोग और कांगियारी से बचाया जा सकता है । रासायनिक उपचार के बाद बायो एजेंट ट्राइकोडरमा विराइड 2 ग्राम से प्रति किलो बीज का उपचार करने की सिफारिश की गई है इससे नए पौधों को मिट्टी से पैदा होने वाली बीमारियों से बचाया जा सकता है ।
कतारों के बीच की दुरी लगभग 15 cm और पौधे से पौधे की दुरी 7 से 8 cm होती है । लहसुन की गांठों को 3-5 सैं.मी. गहरा और उसका उगने वाला हिस्सा ऊपर की तरफ रखें ।
बिजाई के समय भूमि और पानी के अनुसार बीज का चयन करे । बिजाई के समय 225-250 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ के हिसाब से बिजाई करें ।
वातावरण और मिट्टी की किस्म के आधार पर सिंचाई करें । बिजाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें और आवश्यकता के आधार पर 10-15 दिनों के अंतराल पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें ।
शुरू में लहसुन का पौधा धीरे धीरे बढ़ता है इसलिए नदीन नाशकों का प्रयोग गोडाई से बढ़िया रहता है । नदीनों को रोकने के लिए पैंडीमैथालीन 1 लीटर प्रति 200 लीटर पानी प्रति एकड़ में डालकर बिजाई से 72 घंटो में स्प्रे करें । इसके बिना नदीन नाशक ऑक्सीफ्लोरफेन 425 मि.ली. प्रति 200 लीटर पानी में डालकर बिजाई के 7 दिन बाद स्प्रे करें । नदीनों की रोकथाम के लिए 2 गोडाई की जरूरत है । पहली गोडाई बिजाई से 1 महीने बाद और दूसरी गोडाई बिजाई के 2 महीने बाद करें ।
रोगों की रोकथाम के लिए क्लोरपाइरीफॉस , फिप्रोनिल , प्रोफेनोफॉस इत्यादी का प्रयोग करें ।
नोट: फसल पकते टाइम जडगलन रोग की समस्या आ सकती है ।
जब 50 प्रतिशत पत्ते पीले हो जायें और सूख जायें तब कटाई की जा सकती है। कटाई से 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें । पौधों को उखाड़ कर छोटे गुच्छों में बांधे और 2-3 दिनों के लिए खेत में सूखने के लिए रख दें पूरी तरह सूखने के बाद सूखे हुए तने काट दें और गांठों को साफ करके भण्डारण करें ।