- भूमि
- तापमान
- उचित समय
- भूमि की तेयारी
- उच्चतम वैरायटी
- बीज की मात्रा
- बीज उपचार
- बिजाई का तरीका
- सिंचाई
- उर्वरक
- खरपतवार
- रोग नियंत्रण
- अब फसल पकने का इंतजार करें
पालक औसत मिट्टी में अच्छी तरह से उग सकता है लेकिन जैविक पदार्थों से भरपूर मिट्टी में यह ज्यादा अच्छे से विकसित होगा। आमतौर पर पालक उगाते समय मिट्टी का प्रकार और पीएच शायद ही कभी प्रतिबंधी कारक बनते हैं । पालक को मिट्टी की कई किस्मों जो अच्छे जल निकास वाली होती हैं, में उगाया जाता है पर यह रेतली चिकनी और जलोढ़ मिट्टी में बढ़िया परिणाम देती है। तेजाबी और जल जमाव वाली मिट्टी में पालक की खेती करने से बचाव करें । इसके लिए मिट्टी का pH 6 से 7 होना चाहिए ।
इसके लिए 20-30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान अच्छा माना जाता है ।
उपयुक्त वातावरण में पालक की बुवाई वर्ष भर की जा सकती है। पालक की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए बुवाई जनवरी-फरवरी, जून-जुलाई और सितम्बर-अक्टूबर में की जा सकती है पर अगस्त से दिसंबर का समय बिजाई के लिए उचित होता है, जिससे पालक की अच्छी पैदावार प्राप्त होती है।
फसल के बढ़िया विकास और बढ़िया पैदावार के लिए अच्छी तरह से गला हुआ गाय का गोबर 200 क्विंटल और नाइट्रोजन 32 किलो (70 किलो यूरिया), फासफोरस 16 किलो (सुपरफासफेट 100 किलो ) प्रति एकड़ में डालें। गले हुए गाय के गोबर और फासफोरस की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा बिजाई से पहले डालें।
पंजाब ग्रीन, पंजाब सिलेक्शन, पूसा ज्योति, पूसा पालक, पूसा हरित, पूसा भारती ।
एक एकड़ खेत के लिए लगभग 4-6 किलो बीजों की आवश्यकता होती है ।
अंकुरन की प्रतिशतता बढ़ाने के लिए बिजाई से पहले बीजों को 12-24 घंटे तक पानी में भिगो दें । पालक के बीजो को खेत में रोपाई करने से पहले उन्हें बाविस्टिन या कैप्टान दवा की उचित मात्रा से उपचारित कर लेना चाहिए । इसके अतिरिक्त गोमूत्र में 2 से 3 घंटे तक बीजो को भिगोकर भी उपचारित किया जा सकता है ।
बिजाई पंक्ति या बुरकाव द्वारा की जा सकती है। बिजाई के लिए, पंक्ति से पंक्ति 20 सैं.मी. का फासला और पौधे से पौधे का फासला 5 सैं.मी. रखें । बीज को 3-4 सैं.मी की गहराई में बोयें ।
इसके पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए उन्हें अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है, क्योकि इसके बीजो की रोपाई के लिए भूमि का गीला होना जरूरी होता है इसलिए बीजो की रोपाई के तुरंत बाद उन्हें पानी दे देना चाहिए किन्तु छिड़काव विधि में इसके बीजो को सूखी भूमि की आवश्यकता होती है । पालक के बीजो की सिंचाई को आरम्भ में 5 से 7 दिन के अंतराल में करते रहना चाहिए, इससे बीजो का अंकुरण अच्छे से होता है । गर्मियों के मौसम में इन्हे सप्ताह में दो बार तथा सर्दियों के मौसम में इन्हे 10 से 12 दिन के अंतराल में सिंचाई की आवश्यकता होती है इसके अलावा वर्षाऋतु के मौसम में इन्हे जरूरत पड़ने पर ही पानी दे ।
पौधों की कटाई के समय यूरिया की लगभग 20 KG की मात्रा को खेत में छिड़क दे इससे पौधा तेजी से विकसित हो कर कटाई के लिए तैयार हो जाता है बाकी की नाइट्रोजन को दो बराबर भागों में प्रत्येक कटाई के समय डालें । खाद डालने के बाद हल्की सिंचाई करें ।
पालक में खरपतवार की रोकथाम के लिए को दो से तीन गुड़ाई की जरूरत होती है गुड़ाई से मिट्टी को हवा मिलती है। रासायनिक तरीके से खरपतवार की रोकथाम के लिए पायराजोन 1-1.12 किलो प्रति एकड़ में प्रयोग करें बाद में खरपतवारनाशक के उपयोग से बचें ।
चेपा :- पालक में चेपा कीट प्रकोप दिखाई देने पर मैलाथियॉन 50 ई सी 350 मिली को 80-100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। मैलाथियॉन की स्प्रे के बाद तुरंत कटाई नहीं करें। स्प्रे के 7 दिनों के बाद कटाई करें।
पत्तों पर गोल धब्बे :- पालक के पत्तों पर छोटे गोलाकार धब्बे दिखाई देते हैं, बीच से सलेटी और लाल रंग के धब्बे पत्तों के किनारों पर दिखाई देते हैं तो बीज फसल में यदि इसका हमला दिखाई दें तो कार्बेनडाजिम 400 ग्राम या इंडोफिल एम-45, 400 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें । यदि आवश्यकता हो तो दूसरी स्प्रे 15 दिनों के अंतराल पर करें ।
पालक के पौधों की पहली कटाई को बीज रोपाई के 30 से 40 दिन बाद कर लेनी चाहिए । इस दौरान इसके पौधे पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है । जब पालक की पत्तिया पूर्ण रूप से विकसित हो चुकी हो तब इसकी पत्तियों को भूमि से कुछ ऊपर से धारदार हथियार से काट लेना चाहिए पालक के पौधों की कटाई 5 से 7 बार की जाती है । इसके बाद काटी गई पत्तियों का एक बंडल बनाकर रस्सी से बांध लेना चाहिए । इन बंडलों को पानी में अच्छी तरह से धोने के बाद बाजार में बेचने के लिए तैयार कर लिया जाता है । पालक के पौधों से बीजो को प्राप्त करने के लिए उनकी तीन से चार कटाई करने के बाद कुछ समय के लिए ऐसे छोड़ देना चाहिए इसके बाद जब पौधों पर बीज दिखाई देने लगे तब उनकी कटाई कर उन्हें अलग कर ले । इसके बाद इन बीजो को सुखाकर मशीन द्वारा अलग कर ले अलग किये गए इन बीजो को बोर में भर कर जमा कर ले और इन्हे बाजार में बेचने के लिए भेज दे ।