Pink Boll Worm (गुलाबी सुंडी)

Table Of Content
Search
Search

पिंक बॉलवॉर्म एशिया का मूल निवासी है लेकिन दुनिया के अधिकांश कपास उगाने वाले क्षेत्रों में एक आक्रामक प्रजाति बन गई है। भारत के कई क्षेत्रों में कपास पर गुलाबी सुंडी एक प्रमुख कीट के रूप में उभर कर आती रही  है । कपास के सबसे बड़े दुश्मन पिंक बॉल वार्म (Pink Boll worm) यानी गुलाबी सुंडी कीट के आक्रमण का खतरा सबसे अधिक होता है । यह इल्ली कपास के बीजों को खाकर आर्थिक हानि पहुँचाती है । गुलाबी इल्ली का प्रकोप फसल के मध्य तथा देर की अवस्था में होता है । गुलाबी सुंडी की लटें फलीय भागों के अंदर छुपकर तथा प्रकाश से दूर रहकर नुकसान करती हैं जिसके कारण इस कीट से होने वाले नुकसान की पहचान करना कठिन होता है और फसल को अधिक नुकसान होता है। फसल का सीजन बदलने के बाद किसानों को लगता है कि अब सूंडी का प्रकोप खत्म हो चुका है। लेकिन केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान गुलाबी सूंडी का कीड़ा पूरी तरह नहीं मरता है यह लकड़ियों और खराब टिंडों में शांत होकर छिप जाता है कीड़ा सीजन आने पर जागता है  गुलाबी सूंडी का कीड़ा 2 किलोमीटर तक उड़कर जा सकता है तो आइये जानते है इसके  लक्षण, जीवन चक्र, नुकसान और उसकी रोकथाम के बारे में :-

वे भोजन के माध्यम से नुकसान पहुंचाते हैं । गुलाबी सुंडी के नुकसान की पहचान अपेक्षाकृत कठिन होती है क्योंकि लटें फलीय भागों के अंदर छुपकर तथा प्रकाश से दूर रहकर नुकसान करती हैं । कपास में फूल लगने और फूल खिलने के दौरान इसका संक्रमण शुरू होता है । संक्रमित फूल गुलाब के फूल की तरह ही रोसेट फूल में बदल जाते हैं । संक्रमित फूल, कलियां और छोटे कपाल बॉल नीचे गिर जाते हैं । लार्वा बॉल में प्रवेश कर शाखाओं और बीजों को नुकसान पहुंचाती है ।  वे बीज पर भोजन करने के लिए कपास की लिंट को चबाते हैं  चूंकि कपास का उपयोग फाइबर और बीज के तेल दोनों के लिए किया जाता है इसलिए नुकसान दुगना होता है। बीजकोष के चारों ओर सुरक्षात्मक ऊतक का उनका विघटन अन्य कीड़ों और कवक के प्रवेश का एक पोर्टल है । कीट का सक्रिय काल मध्य जुलाई से मध्य अक्टूबर है।

Posts
Previous slide
Next slide