Lotus cucumber

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कमल ककड़ी की खेती सब्जी के लिए की जाती है । कमल के पौधों में लगने वाला फूल जितना लोकप्रिय है, उतने ही खास उस पौधे के बाक़ी हिस्से भी है । कमल के फूल के अलावा बीज और जड़ो को भी काफी पसंद किया जाता है जिसमे इसके बीजो से मिलने वाला मखाना सेहत को बेहतर बनाने में सहायता प्रदान करता है, तो वही इसकी जड़े जिसे कमल ककड़ी कहते है यह स्वाद में भी अच्छा और सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है । कमल ककड़ी में फास्फोरस, प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम, फाइबर और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व मौजूद होते है जिन्हे सेहत और स्वास्थ की नज़र से काफी अच्छा माना जाता है ।

कमल ककड़ी का सेवन सब्जी के अलावा अचार बनाकर भी करते है । किसान भाई कमल ककड़ी का उत्पादन कर अच्छी कमाई भी कर रहे है । यदि आप भी कमल ककड़ी की खेती करने की सोच रहे है तो इस लेख में आपको कमल ककड़ी क्या होता है ? कमल ककड़ी की खेती कैसे करे तथा कमल ककड़ी के फायदे व नुक्सान क्या होते है इसकी जानकारी दी जा रही है ।

कमल ककड़ी मुख्य रूप से कमल की जड़ होती है जिसे मानव आहार के लिए इस्तेमाल किया जाता है  कमल ककड़ी को अंग्रेजी भाषा में लोटस कुकम्बर (Lotus Cucumber) या कमल जड़ (Lotus Root) कहा जाता है   लुम्बो न्यूसीफेरा जल में रहने वाला एक पौधा है, जिसे भारत में कमल के रूप में जानते है  इसकी जड़ो को व्यंजन बनाने के लिए उपयोग में लाते है जो कमल ककड़ी कहलाती है  कमल एक बारहमासी जलीय पौधा होता है जिसकी जड़े बेलनाकार व भूरे रंग की होती है 

पौधे का सबट्रेनियन या सुपाच्य प्रकंद ही कमल ककड़ी होती है  कमल ककड़ी में कई पौष्टिक आहार मौजूद होते है जिसमे कई गुण होते है कमल ककड़ी का सेवन स्वास्थ के नजरिये से काफी बेहतर होता है यह प्रोटीन और फाइबर  का एक बेहतर स्रोत है जिसे अलग-अलग जगहों पर डिश बनाकर इस्तेमाल किया जाता है 

वर्ष में तीन बार कमल ककड़ी की फसल उगाई जा सकती है किसान भाई अपने खेतो में तालाब बनाकर कमल ककड़ी के बीजो की बुवाई करते है जिससे एक एकड़ के खेत में उन्हें 50 से 60 क्विंटल कमल ककड़ी का उत्पादन आसानी से मिल जाता है  कमल ककड़ी का स्थानीय बाज़ारो में भाव 10 से 20 रूपए प्रति किलो होता है तथा भारत के दक्षिण क्षेत्रों में इसी कमल ककड़ी की कीमत 80 से 100 रूपए प्रति किलो होती है 

उत्तर भारत में रहने वाले किसान इसकी खेती करना ज्यादा पसंद करते है वह लोग कमल ककड़ी का उत्पादन कर जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र राज्यों में बेचकर अच्छी कमाई करते है क्योकि इन राज्यों में इसकी बहुत अधिक मांग रहती है  किसान ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल कर बड़ी मात्रा में कमल ककड़ी का निर्यात बड़े व्यापारियों तक करते है जिसके बाद व्यापारियों द्वारा किसानो को माल की कीमत उनके बैंक खाते में भेज दी जाती है 

कमल के पौधों के लिए 21-35 डिग्री का तापमान जरूरी होता है इसका अर्थ यह है कि तालाब में धुप ठीक तरह से लगनी चाहिए  इसके अतिरिक्त 35 डिग्री से अधिक तापमान होने पर छाया के लिए शेड का इस्तेमाल कर सकते है 

कमल के बीज का अंकुरण से लेकर उत्पादन तक की प्रक्रिया काफी लंबी होती है आरम्भ में इसके बीजो को अंकुरित करने के लिए गुनगुने पानी में बीजो को डाल देते है तथा बीजो के अंकुरित होने तक प्रतिदिन पानी को बदलते रहना होता है 

इसके बाद अंकुरित हुए बीजो को खास तरह की मिट्टी, बजरी या नदी की रेत पर लपेटना होता है इसे पूरी तरह से नहीं ढकना होता है धीरे-धीरे अंकुरित बीजो को मिट्टी के शीर्ष पर दबाया जाता है इसके बाद आप जिस बर्तन या पॉट में इन्हे रखना चाहते है उसे पानी से पूरा भरे दे तथा कुछ दिनों के पश्चात् पौधों को बर्तन से हटाकर तालाब में रखना होता है और फिर अच्छी तरह से एक मीटर तक पानी को भरना होता है यदि तालाब में पहले से ही पानी भरा हुआ है तो इस बात का जरूर ध्यान रखे कि तालाब ज्यादा गहरा न हो 

इसके पौधों का ठीक तरह से रख-रखाव करना भी जरूरी होता है इसके लिए पौधों पर पीली पत्ती दिखाई देने पर उन्हें तोड़ कर हटा दे  पूरी तरह से तैयार पौधों की जड़े बेलनाकार और मजबूत हो जाती है इन जड़ो को ही कमल ककड़ी कहते है  पूर्ण रूप से तैयार पौधों की जड़ो को तोड़कर बाजार में बेचने के लिए भेज दिया जाता है 

  • कमल ककड़ी का भोजन के साथ उपयोग तनाव कम करने में सहायता प्रदान करता है ।
  • कमल ककड़ी हमारी त्वचा और बालो को मजबूती देता है ।
  • इसका सेवन करने से जल प्रतिधारण को रोकने और वजन घटाने में मदद मिलती है ।
  • कमल ककड़ी ब्लड प्रेसर को बढ़ने से रोकता है ।
  • कमल ककड़ी में फाइबर की उचित मात्रा पाई जाती है, जो पाचन बढ़ाने में सहायता करता है ।
  • कमल ककड़ी का सेवन करने से हमें सूजन, खासी, दस्त, कैंसर से लड़ने, मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने तथा मुहासों से छुटकारा पाने में सहायता मिलती है ।
  • कमल ककड़ी का सेवन हमारे लिए किसी भी तरह से हानिकारक नहीं होता है, बस हमें इसे पकाकर, उबालकर और फ्राई करके खाना चाहिए, कच्चे से रूप में इसका सेवन न करे ।
  • कमल ककड़ी में ऐसे कोई भी घटक नहीं पाए जाते है, जिससे यह कहा जा सके कि इसका सेवन हमारे शरीर को किसी तरह से हानि पहुँचाता है ।
  • इसके सेवन करने में बस एक बात का ध्यान रखना होता है कि नियमित मात्रा में ही कमल ककड़ी का सेवन करना चाहिए ।
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