- भूमि
- तापमान
- उचित समय
- भूमि की तेयारी
- उत्तम वैरायटी
- बीज उपचार
- बिजाई का तरीका
- बिजाई
- सिंचाई
- खरपतवार नियंत्रण
- मुख्य रोग और नियंत्रण
- अब फसल पकने का इंतजार करें
गाजर की जड़ों के अच्छे विकास के लिए गहरी, नर्म और चिकनी मिट्टी की जरूरत होती है । बहुत ज्यादा भारी और ज्यादा नर्म मिट्टी गाजरों की फसल के लिए अच्छी नहीं मानी जाती । अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7 होना चाहिए (अच्छी पैदावार के लिए 6.5 पी एच लाभदायक होता है) ।
गाजर की बिजाई के लिए मुख्यतया 10-25 डिग्री C तापमान होना चाहिए ।
अक्टूबर में बिजाई का समय बढ़िया माना जाता है ।
भूमि की अच्छे से गहरी बुवाई करके उसमे पानी से सिंचाई करे । पानी से सिंचाई के बाद भूमि में 10-15 टन रूढ़ी ( गोबर ) की खाद डालकर या 70 Kg नत्रजन, 40 Kg फोस्फोरस और 40 kg पोटाश प्रति/है. डालकर दोबारा से बुवाई करे । बुवाई के लिए कल्टीवेटर – तोई – हेरो इत्यादी का इस्तेमाल करें ।
पूसा केसर, घाली, हिसार रसीली, चैंटनी ।
बिजाई से पहले बीजों को 12-24 घंटे पानी में भिगो दें इससे बीज के अंकुरन में वृद्धि होती है ।
गाजर की बुवाई समतल क्यारियों में या डोलियों पर की जाती है । पंक्तियों और पौधों की आपसी दूरी क्रमश/श्रृंखलावार 4.5 से 7.5 सेमी. रखना चाहिए । क्यारी में बुआई लिए क्यारियों के बीच में गाजर के बीज को छींटकर बोते हैं तथा बाद में छॅटाई की जाती है ।
बिजाई के समय भूमि और पानी के अनुसार बीज का चयन करे । बिजाई के समय 5-6 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर आवश्यक होता है ।
पहली सिंचाई बीज बोने के तुरन्त बाद करें बिजाई के 4-5 दिन बाद दूसरी हल्की सिंचाई करनी चाहिए । बाद में 10-15 दिन के अंतर में सिंचाई करनी चाहिए । एक महीने पश्चात् जब बीज पौधा बनने लगता है उस दौरान पौधों को कम पानी देना होता है इसके बाद जब पौधे की जड़े पूरी तरह से लम्बी हो जाये तो पानी की मात्रा को बढ़ा देना होता है ।
यदि खेत मे खरपतवार उग आये हों तो आवश्यकतानुसार उन्हें निकालते रहना चाहिए। रासायनिक खरपतवारनाशक जैसे पेन्डिमीथेलिन 30 ई.सी. 3.0 कि.ग्रा. 1000 ली.पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के 48 घंटे के अन्दर प्रयोग करने पर प्रारम्भ के 30-40 दिनों तक खरपतवार नहीं उगते हैं । खरपतवार के नियंत्रण के लिए खेत की 2-3 बार निराई गुड़ाई करें । दूसरी निराई गुड़ाई करने के समय पौधों की छटनी कर दें ।
नीमाटोडस :- नीमाटोडस की रोकथाम के लिए नीम केक 0.5 टन प्रति एकड़ में बिजाई के समय डालें ।
पत्तों पर धब्बे :- पत्तों पर धब्बे यदि खेत में इससे नुक्सान हो तो मैनकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें ।
गाजर की बीविल :- इस कीट के नियंत्रण के लिए मैलाथियान 50 ई. सी. की 2 मिली. मात्रा को एक लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें ।
गाजर की जड़ों की खुदाई तब करनी चाहिए जब वे पूरी तरह विकसित हो जाए खेत में खुदाई के समय पर्याप्त नमी होनी चाहिए जड़ों की खुदाई फरवरी में करनी चाहिए बाजार भेजने से पूर्व जड़ों को अच्छी तरह धो लेना चाहिए ।