- भूमि
- तापमान
- उचित समय
- भूमि की तेयारी
- उच्चतम वैरायटी
- बीज उपचार
- बिजाई का तरीका
- बिजाई
- सिंचाई
- अब फसल पकने का इंतजार करें
उचित जल निकासी वाली भूमि तिल की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है । इसे किसी भी उपजाऊ मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है तथा भूमि सामान्य P.H. मान वाली होनी चाहिए ।
तिल की बिजाई के लिए मुख्यतया 35-40 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए ।
25 जून से 15 जुलाई के बीच का समय बिजाई के लिए बढ़िया माना जाता है ।
खेत की तैयारी के समय 80 से 100 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद अंतिम जुताई के समय मिला देना चाहिए। इसके साथ ही साथ 30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 15 किलोग्राम फास्फोरस तथा 25 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए । नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस, पोटाश एवम गंधक की पूरी मात्रा बुवाई के समय आधार खाद के रूप में तथा नाइट्रोजन की आधी मात्रा प्रथम निराई-गुडाई के समय खड़ी फसल में देना चाहिए ।
नोट: कीटों की रोकथाम के लिए क्यूनालफास 25 ई.सी. 1.25 लीटर या मिथाइल पैराथियान 2 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के दर से छिडक़ाव करना चाहिए ।
तिल की पत्तियां जब पीली होकर गिरने लगे तथा पत्तियां हरा रंग लिए हुए पीली हो जाए तब समझना चाहिए की फसल पक कर तैयार हो गई है । इसके बाद कटाई पौधे सहित नीचे से करनी चाहिए । कटाई के बाद बंडल बनाकर खेत में ही जगह-जगह पर छोटे-छोटे ढेर में खड़े कर देना चाहिए जब अच्छी तरह से पौधे सूख जाएं तब डंडे अथवा छड़ की सहायता से पौधों को पीटकर या हल्का झाडक़र बीज निकाल लेना चाहिए ।
टी.के.जी. 308, जे.टी-11, जे.टी-12, वी आर आई- 1, पंजाब तिल 1, टी एम वी- 4, 5, 6, चिलक रामा, गुजरात तिल 4, हरियाणा तिल 1, सी ओ- 1, तरुण, सूर्या, बी- 67, प्यायूर- 1, शेखर और सोमा ।