गन्ना (Sugarcane)

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गन्ने की खेती किसी भी तरह की उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है किन्तु गहरी दोमट मिट्टी में इसकी पैदावार अधिक मात्रा में प्राप्त हो जाती है । इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली भूमि की आवश्यकता होती है क्योकि जलभराव से फसल के ख़राब होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है । सामान्य P.H. मान वाली भूमि गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त होती है । गन्ने के पौधों को शुष्क और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है । इसके पौधे एक से डेढ़ वर्ष में पैदावार देना आरम्भ करते है जिस वजह से इसे विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है इन परिस्थितियों में भी पौधे ठीक से विकास करते है । इसकी फसल को सामान्य वर्षा की आवश्यकता होती है तथा केवल 75 से 120 CM वर्षा ही पर्याप्त होती है ।

 इन टुकड़ों को कार्बेंन्डाजिम-2 ग्राम प्रति लीटर के घोल में 15 से 20 मिनट तक डुबाकर कर रखें। इसके बाद टुकड़ों को नालियों में रखकर मिट्टी से ढंक दे। एवं सिंचाई कर दें या सिंचाई करके हलके से नालियों में टुकड़ों को दबा दें । इससे डंडियों के अंकुरण के समय उन्हें रोग लगने का खतरा कम हो जाता है, औऱ डंडियों का विकास भी अच्छे से होता है |

 

 गन्ने की फसल को तैयार होने में 10 से 12 महीने का समय लग जाता है । इसके पौधों की कटाई भूमि की सतह के पास से ही करनी होती है  फसल की कटाई उस समय करें जब गन्ने में सुक्रोज की मात्रा सबसे अधिक हो क्योंकि यह अवस्था थोड़े समय के लिये होती है और जैसे ही तापमान बढ़ता है सुक्रोज का ग्लूकोज में परिवर्तन प्रारम्भ हो जाता है और ऐसे गन्ने से शक्कर एवं गुड़ की मात्रा कम मिलता है । कटाई पूर्व पकाव सर्वेक्षण करें इस हेतु रिफलेक्टो मीटर का उपयोग करें यदि माप 18 या इसके उपर है तो गन्ना परिपक्व होने का संकेत है। गन्ने की कटाई गन्ने की सतह से करें ।

सीओवीसी-99463

कर्नाटक

नमी दबाव स्थितियों के लिए उपयुक्तउपज क्षमता-60-70 टन प्रति एकड़ (1483-1730 क्विंटल प्रति हैक्टर)उच्च उपजवर्धक (70-80 टन प्रति एकड़)उच्च तलशाखनबेहतर गुणवत्ताचौड़ी पंक्ति रोपण के लिए उपयुक्तबेहतर रतून उत्पादकतासूखा सहिष्णु और गुड़ बनाने के लिए अति उत्तमपरिपक्वताः मध्यम पछेती।

सीओएलके-09204

(इक्षु-3)

पंजाबहरियाणाउत्तराखंडराजस्थानउत्तर प्रदेश एवं पश्चिमी क्षेत्र

सिंचित एवं जलभराव स्थिति के लिए उपयुक्तगन्ना उपज क्षमता-82.8 टन प्रति हैक्टर और सीसीएस उपज 9.30 टन प्रति हैक्टरएक मध्यम-पछेती क्लोनइसमें झड़न और पुष्पण नहीं होता हैबेहतर रतून उत्पादकता और पोषकतत्व अनुक्रियाशीलपरिपक्वता-मध्यम पछेती (11-12 माह)रेड रॉट एवं स्मट से मध्यम प्रतिरोधी।

सीओपीबी-94

(सीओपीबी-10181)

पंजाबहरियाणाराजस्थानउत्तराखंड के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र एवं उत्तर प्रदेश के उत्तरी तथा पश्चिमी क्षेत्र

सामान्य सिंचित स्थितिउपोष्ण जलवायुसंस्तुत उर्वरक खुराक के साथ वसंत ऋतु में रोपण के लिए उपयुक्तउपज क्षमता-84-87 टन प्रति हैक्टरउच्च उपजवर्धकउच्च शर्करा तत्वपरिपक्वता-मध्यम पछेती (11-12 माह)रेड रॉट प्रतिरोधी।

यूपी (सीओए-11321)

पूर्वी उत्तर प्रदेशबिहारपश्चिम बंगाल एवं असोम

सिंचितसामान्य उर्वरता स्तर के लिए उपयुक्तदबाव से सहिष्णुउपज क्षमता-74.74 टन प्रति हैक्टररस में सुक्रोज (17.90 प्रतिशत)सीसीएस (8.76 टन प्रति हैक्टर) और गन्ना में pol (13.23 प्रतिशत)परिपक्वता-अगेतीप्रमुख रोगों से मध्यम प्रतिरोधी और प्रमुख नाशीजीवों से न्यून प्रतिरोधी।

श्रीमुखी (सीओए-11321)

आंध्रप्रदेश

आश्वस्त सिंचाईसीमित सिंचाईपछेती रोपणबारानीजलभराव और लाल सड़न रोग संवेदनशील क्षेत्रों के लिए उपयुक्तउपज क्षमता-111.31 टन प्रति हैक्टरसीसीएस (13.59 टन प्रति हैक्टर)रस (17.16) में सुक्रोज (प्रतिशत) और गन्ना (13.73) में pol(प्रतिशत)परिपक्वता-अगेतीलाल सड़न से प्रतिरोधीस्मट एवं मुरझान से संवेदनशीलअगेती प्ररोहबेधक नाशीजीव से कम संवेदनशील और अंतर ग्रंथिबेधक से उच्च संवेदनशील।

इक्षु सीओएलके-11206

पंजाबहरियाणाउत्तराखंडराजस्थानउत्तरप्रदेश के मध्य एवं पश्चिमी इलाके

सिंचित रोपण के लिए उपयुक्तउपज क्षमता-91.50 टन प्रित हैक्टरउच्च उपजवर्धक एवं मध्यम-परिपक्वता वाली वाणिज्यिक किस्मनमी दबाव स्थिति के तहत बेहतर निष्पादनपरिपक्वताः मध्य-पछेतीसभी केंद्रों में लाल सड़न और स्मट रोगों से मध्यम प्रतिरोधी।

इक्षु सीओएलके-11203

पंजाबहरियाणाउत्तराखंडराजस्थानउत्तर प्रदेश के मध्य एवं पश्चिमी क्षेत्र

सिंचित रोपण के लिए उपयुक्तउच्च उपजवर्धकलाल सड़न रोग प्रतिरोधी वाणिज्यिक किस्मउपज क्षमता-81.97 टन प्रति हैक्टरसीसीएस (10.52 टन प्रति हैक्टर)रस (18.41) में सुक्रोज (प्रतिशत) और गन्ना (13.44) में pol (प्रतिशत) परिपक्वता-मध्यम पछेतीअधिकतर केंद्रों में लाल सड़न एवं स्मट रोगों से मध्यम रोगीलगभग सभी स्थानों में मुख्य नाशीकीटों से कम संवेदनशील।

सीओ-06022 

(06 सीओ-022)

तमिलनाडु और पुड्‌डुचेरी की पारिस्थितिकी

प्रायद्वीपीय क्षेत्र की सामान्य स्थितियों तथा सूखा संवेदनशील क्षेत्रों के लिए उपयुक्तउपज क्षमता- 105.23 टन प्रति हैक्टरसीसीएस (13.76 टन प्रति हैक्टर)रस (18.88) में सुक्रोज (प्रतिशत) और परिपक्वता अवधि : 10 माह (300 दिन)अगेतीवर्तमान रोगजनकों/लाल सड़न रोग उत्पन्न करने वाले नाशीकीटों से मध्यम प्रतिरोधी।

बाहुबली (सीसीएपफ-0517)

कर्नाटक

दक्षिण कर्नाटक के सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्तउपज क्षमता : 200-225 टन प्रति हैक्टरबेहतर रतून उत्पादकतासामान्य झड़न के साथ गहरा जड़ स्थापनपरिपक्वताः मध्यम-पछेती (12-14 माह)पर्णिल रोग से प्रतिरोधीपर्ण बरुथी और अंतर ग्रंथि नाशीजीव से कम संवेदनशील।

चारचिका (सीओओआर-10346)

ओडिशा

गैर-सड़नसिंचित ऊपरी भूमि और मध्यम भूमि के लिए उपयुक्तउचित जल प्रबंधन के साथ चावल भूमि में भी उगाई जा सकती हैउपज क्षमता-100 टन प्रति हैक्टरपरिपक्वताः मध्यम-पछेती (360 दिन)जलभराव और नमी दबाव से सहिष्णु।

स्त्रोत : खेती पत्रिका, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि अनुसंधान भवन, पूसा गेट, नई दिल्ली-12 

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