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- परिचय
- कार्यान्वयन एजेंसियाँ
- उद्देश्य
- वित्तीय प्रावधान
- आधिकारिक वेबसाइट
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परिचय
कार्यान्वयन एजेंसियाँ
उद्देश्य
वित्तीय प्रावधान
आधिकारिक वेबसाइट
परिचय
- किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत वर्ष 1998 में की गई थी। किसानों की ऋण आवश्यकताओं (कृषि संबंधी खर्चों) की पूर्ति के लिये पर्याप्त एवं समय पर ऋण की सुविधा प्रदान करना, साथ ही आकस्मिक खर्चों के अलावा सहायक कार्यकलापों से संबंधित खर्चों की पूर्ति करना। यह ऋण सुविधा एक सरल कार्यविधि के माध्यम से यथा- आवश्यकता के आधार पर प्रदान की जाती है।
- वर्ष 2004 में इस योजना को किसानों की निवेश ऋण आवश्यकता जैसे संबद्ध और गैर-कृषि गतिविधियों के लिये आगे बढ़ाया गया था।
- बजट-2018-19 में सरकार ने मत्स्य पालन और पशुपालन किसानों को उनकी कार्यशील पूंजी की ज़रूरतों को पूरा करने में मदद के लिये किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सुविधा के विस्तार की घोषणा की।
कार्यान्वयन एजेंसियाँ
- वाणिज्यिक बैंक
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRBs)
- लघु वित्त बैंक
- सहकारी समितियाँ
उद्देश्य
- फसलों की खेती के लिये अल्पकालिक ऋण आवश्यकताओं को पूरा करना।
- फसल के बाद का खर्च।
- विपणन ऋण का उत्पादन करना।
- किसान परिवारों की खपत आवश्यकताएँ।
- कृषि संपत्ति और कृषि से संबद्ध गतिविधियों के रखरखाव के लिये कार्यशील पूंजी।
- कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिये निवेश ऋण की आवश्यकता।
वित्तीय प्रावधान
- किसानों को 7% प्रतिवर्ष की उचित लागत पर कृषि ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये :-
- भारत सरकार ने 3 लाख रुपए तक के अल्पकालिक फसल ऋण के लिये 2% की ब्याज सहायता योजना लागू की है।
- इसके अतिरिक्त भारत सरकार किसानों को 2% की ब्याज़ सहायता और 3% का त्वरित पुनर्भुगतान प्रोत्त्साहन प्रदान करती है।
आधिकारिक वेबसाइट
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