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myrobalan plant
Table of Contents हरड़ का पौधा भारतीय संस्कृति और आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस पौधे को कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है और यह हमारे स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभदायक होता है। हरड़ का पौधा सदियों से हमारी चिकित्सा में उपयोग किया जा
tuberose plant
रजनीगंधा का पौधा रजनीगंधा, जिसे वैज्ञानिक रूप से ‘Tuberose‘ कहा जाता है, एक सुगंधित फूलों वाला पौधा है जो भारत में बहुत लोकप्रिय है। यह अक्सर पूजा, शादियों और अन्य सांस्कृतिक अवसरों पर उपयोग होता है। रजनीगंधा के फूल सफेद रंग के होते हैं, और जब वे खिलते हैं,
aloe vera cultivation
एलोवेरा की बाजार में बढ़ती मांग को देखते हुए इसकी खेती मुनाफे का सौदा साबित हो रही है। हर्बल और कास्मेटिक्स में इसकी मांग निरंतर बढ़ती ही जा रही है। इन प्रोडक्टसों में अधिकांशत: एलोवेरा का उपयोग किया जा रहा है। सौंदर्य प्रसाधन के सामान में इसका सर्वाधिक उपयोग होता
A lotus plant
Search कमल, भारत का राष्ट्रीय फूल, अपनी सुंदरता और पवित्रता के लिए प्रसिद्ध है। जब आप इस सुंदर फूल को पानी में खिलते हुए देखते हैं, तो आपको समझ में आता है कि इसे क्यों इतना महत्व दिया जाता है। कमल के पौधे की खास बात यह है कि यह कीचड़
Brahmakamal cultivation
Posts Search ब्रह्मकमल की खेती ब्रह्मकमल जैसा कि नाम से पता चलता है कि ब्रह्मकमल का संबंध सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा से है। वेदों और अन्य हिंदू धार्मिक ग्रंथों में ब्रह्मकमल का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार इस पुष्प का संबंध ब्रह्मा से बताया गया है। ऐसा माना जाता है
sitafal
RECENT POST RECENT POST शरीफा (सीताफल) शरद ऋतु में मिलने वाला एक प्रकार का फल है, जिसे आमतौर पर शरीफा (सीताफल), शुगर एप्पल या कस्टर्ड एप्पल के नाम से भी जाना जाता हैं। हालांकि पहले यह माना जाता था कि यह भारत का मूल फल है, लेकिन यह पेड़ बहुत पहले
सनई
सनई एक तेजी से उगने वाली फलीदार फसल है जो रेशे और हरी खाद के लिए उगाई जाती है। जब इसे मिट्टी में मिलाया जाता है तो यह खारेपन और खनिजों के नुकसान को रोकता है और मिट्टी में नमी बनाई रखता है। यह भारत में उगाई जाने वाली मुख्य फसल है और इसके इलावा भारत में यह महांराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, राज्यस्थान, उड़ीसा और यू पी राज्यों में हरी खाद के लिए उगाई जाती है।
जलवायु
Temperature
Rainfall
Sowing Temperature
Harvesting Temperature
मिट्टी
सनई की खेती के लिये नमी वाली रेतीली मिट्टी या चिकनी मिट्टी को सबसे अच्छा मानते हैं. इसकी खेती के लिये खेत में गहरी जुताई लगातर मिट्टी को भुरभुरा बनाते हैं. फिर पाटा लगाकर खेतों को ढंक दिया जाता है. खरीफ सीजन की फसलों से पहले सनई की बिजाई की जाती है और अप्रैल से जुलाई तक बीजों को खेत में छिड़क दिया जाता है.
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
ज़मीन को अच्छी तरह जोतकर भुरभुरा कर लें। बीजने से पहले ज़मीन में अच्छी नमी होनी ज़रूरी है। अच्छी नमी बीज को अंकुरन में मदद करती है।
बिजाई
बीज
खाद
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP | MURIATE OF POTASH |
# | 100 | # |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
# | 16 | # |
हरी खाद लेने के लिए फासफोरस 16 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। इसमें नाइट्रोजन वाली खाद का प्रयोग नहीं किया जाता पर कईं बार शुरू वाला विकास करने के लिए 4-6 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से डाली जाती है।
खरपतवार नियंत्रण
नदीनों की रोकथाम के लिए बिजाई से एक महीने बाद गोडाई करें।
सिंचाई
हरी खाद लेने के लिए दो-तीन पानी मौसम के आधार पर दिए जा सकते हैं। बीज उत्पादन के लिए फूल आने के समय और दाने बनने के समय पानी की कमी नहीं आनी चाहिए।
फसल की कटाई
बीज उत्पादन के लिए फसल को बीजने के 150 दिनों के बाद (मध्य अक्तूबर के नवंबर के शुरू में) काट लें और हरी खाद वाली फसल को बीजने के 45-60 दिनों के बाद मिट्टी में मिला दें।
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