मूंगफली की खेती के लिए मिट्टी, उर्वरक और सिंचाई की सही जानकारी

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मूंगफली की खेती: किसानों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय

मूंगफली (Peanut) एक महत्वपूर्ण तेलहन फसल है जो भारतीय कृषि में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह मुख्य रूप से गर्मी (रबी) और मानसून (खरीफ) दोनों मौसमों में उगाई जाती है, लेकिन खरीफ मौसम में इसकी खेती अधिक होती है। मूंगफली का पौधा सूखा और भूख सहन करने में सक्षम है, जिससे यह विभिन्न प्रकार की जलवायु और मिट्टी में उगने के लिए उपयुक्त है, और भारतीय किसानों के लिए एक लाभकारी फसल बनता है। इसकी खेती से तेल, बीज, और अन्य उत्पादों की प्राप्ति होती है, जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

मूंगफली के प्रकार: प्रमुख किस्में और उनकी विशेषताएँ

जैविक मूंगफली (Groundnut)

यह सामान्य मूंगफली की किस्म है, जिसे विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में उगाया जा सकता है। यह फसल विशेष रूप से भारतीय जलवायु के अनुकूल होती है। जैविक मूंगफली का प्रयोग मुख्य रूप से तेल उत्पादन, दाने के रूप में और मूंगफली बटर के लिए किया जाता है। इसकी खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है और यह मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने में मदद करती है, जिससे भूमि की उर्वरता में सुधार होता है।

गुलाबी मूंगफली (Virginia)

गुलाबी मूंगफली बड़े आकार के दानों के लिए प्रसिद्ध है। यह किस्म मुख्य रूप से तेल उत्पादन और स्नैक्स के लिए उगाई जाती है। गुलाबी मूंगफली की विशेषता यह है कि इसमें तेल की मात्रा अधिक होती है, जो इसे बाजार में एक प्रमुख उत्पाद बनाती है। इसके बड़े दाने और उच्च तेल प्रतिशत के कारण इसे व्यावसायिक रूप से अधिक लाभकारी माना जाता है। यह उच्च गुणवत्ता वाले मूंगफली उत्पादों के लिए एक आदर्श किस्म है।

स्पैनिश मूंगफली (Spanish)

यह छोटी दाने वाली मूंगफली की किस्म है, जो मुख्य रूप से तेल निकालने के लिए उगाई जाती है। स्पैनिश मूंगफली की फसल में उच्च तेल प्रतिशत होता है और यह ताजगी बनाए रखने के लिए उपयुक्त होती है। यह किस्म ज्यादा सूखा सहन करने में सक्षम होती है, जिससे यह कम बारिश वाले क्षेत्रों के लिए आदर्श होती है। इसका उत्पादन भी अपेक्षाकृत ज्यादा होता है और इस किस्म के दाने बाजार में आसानी से बिक जाते हैं।

भारतिया मूंगफली (Indian Varieties)

भारत में विभिन्न प्रकार की मूंगफली की किस्में उगाई जाती हैं, जैसे Pusa Bold, Pusa 17, और N-60। ये किस्में विशेष रूप से उच्च तेल उत्पादन के लिए जानी जाती हैं और भारतीय कृषि में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। इन किस्मों का उत्पादन अपेक्षाकृत ज्यादा होता है और यह देशभर में व्यापक रूप से उगाई जाती हैं। इन किस्मों को उगाने से किसानों को बेहतर लाभ मिलता है और ये किस्में मौसम और जलवायु के प्रति ज्यादा संवेदनशील नहीं होतीं।

टेक्सास-18 मूंगफली (Texas-18)

टेक्सास-18 मूंगफली की किस्म विशेष रूप से उच्च तापमान वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होती है। यह किस्म गर्मी सहन करने में सक्षम होती है और इसके दाने बड़े होते हैं। इसे अधिकतर तेल उत्पादन के लिए उगाया जाता है और इसकी फसल से उच्च गुणवत्ता वाला तेल निकलता है। यह किस्म सूखा सहन करने की क्षमता भी रखती है, जिससे यह शुष्क क्षेत्रों में भी अच्छी पैदावार देती है।

मूंगफली की खेती के आधुनिक और प्रभावी तरीके

उन्नत बीजों का चयन

मूंगफली की खेती में सफलता के लिए उन्नत बीजों का चयन करना सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसे बीजों का उपयोग करें जो उच्च उत्पादकता और रोग-प्रतिरोधक क्षमता वाले हों। कुछ लोकप्रिय किस्में हैं TG 37A, ICGV 91114, और GG-2। बुवाई से पहले बीजों को राइजोबियम और पीएसबी (फॉस्फेट सॉल्युबिलाइजिंग बैक्टीरिया) जैसे जैव उर्वरकों से उपचारित करना चाहिए।

भूमि की तैयारी

मूंगफली के लिए हल्की दोमट या बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। खेत की जुताई अच्छे से करें और उसमें 5-10 टन सड़ी हुई गोबर खाद मिलाकर मिट्टी को उपजाऊ बनाएं। खेत को समतल करें ताकि जल निकासी और नमी बनाए रखना आसान हो। मिट्टी का पीएच स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए, जो मूंगफली के पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए आदर्श होता है।

सिंचाई और जल प्रबंधन

मूंगफली की फसल के लिए उचित जल प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। बुवाई के तुरंत बाद और फूल बनने के समय सिंचाई करना महत्वपूर्ण होता है। कुल 4-5 सिंचाई पर्याप्त होती हैं। ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग करने से पानी की बचत होती है और फसल को सही मात्रा में नमी मिलती है। साथ ही, जलभराव से बचना जरूरी है, क्योंकि इससे फसल की जड़ें सड़ सकती हैं।

रोग और कीट प्रबंधन

मूंगफली के पौधों को सफेद मक्खी, थ्रिप्स, और तना छेदक जैसे कीटों से बचाना जरूरी है। जैविक कीटनाशकों जैसे नीम के तेल का उपयोग करें, या जरूरत पड़ने पर आधुनिक कीटनाशकों का छिड़काव करें। बीजोपचार और पौधों की नियमित निगरानी करने से रोगों का प्रकोप कम होता है। फसल को प्रभावित करने वाले फफूंद और विषाणुजनित रोगों से बचाव के लिए खेत को साफ रखें और रोगग्रस्त पौधों को तुरंत हटा दें।

फसल की कटाई और भंडारण

मूंगफली की कटाई सही समय पर करना उत्पादन की गुणवत्ता के लिए बेहद जरूरी है। जब पौधों के पत्ते पीले पड़ने लगें और फल आसानी से टूटने लगें, तो फसल काट लें। कटाई के बाद मूंगफली को अच्छी तरह से धूप में सुखाएं और सूखी अवस्था में हवा-पार भंडारगृह में संग्रहित करें। भंडारण के दौरान नमी और कीटों से बचाने के लिए उचित सावधानी बरतें।

तकनीकी उपकरणों का उपयोग

खेती के लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होता है। बुवाई के लिए सीड ड्रिल, सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम, और कटाई के लिए हार्वेस्टर का उपयोग करें। मोबाइल ऐप्स और पोर्टेबल सेंसर से मिट्टी की गुणवत्ता, मौसम की जानकारी, और फसल की स्थिति का पता लगाना आसान हो जाता है, जिससे खेती और प्रबंधन अधिक प्रभावी बनता है।

मूंगफली की खेती के प्रमुख फायदे

लाभकारी फसल

मूंगफली एक प्रमुख नकदी फसल है, जो किसानों को उच्च मुनाफा देने में सक्षम है। इसकी बाजार में हमेशा मांग रहती है, खासकर खाद्य उद्योग और तेल उत्पादन में। मूंगफली के बीज, तेल, और अन्य उत्पादों की खपत बढ़ने के कारण यह फसल किसानों के लिए आय का एक स्थिर और लाभदायक स्रोत बन जाती है। इसके अतिरिक्त, मूंगफली का उपयोग विभिन्न औद्योगिक उत्पादों में भी होता है, जिससे इसकी कीमतों में स्थिरता बनी रहती है और किसानों को बेहतर आर्थिक लाभ मिलता है।

बहुउपयोगी फसल

मूंगफली एक बहुउपयोगी फसल है, जिसका उपयोग कई उद्योगों में होता है। इसके बीजों से खाद्य तेल और पीनट बटर जैसे उत्पाद बनाए जाते हैं। मूंगफली के अवशेष पौष्टिक पशु चारे के रूप में उपयोग किए जाते हैं। इसका उपयोग चॉकलेट और स्नैक्स बनाने में भी किया जाता है। कॉस्मेटिक और दवाइयों में भी मूंगफली के तेल और प्रोटीन का महत्व है। इन उपयोगों के कारण इसकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है। इन बहुप्रयोजनों के कारण मूंगफली की मांग हमेशा बनी रहती है, जिससे यह किसानों के लिए एक स्थायी और लाभकारी फसल बनती है।

स्वास्थ्यवर्धक फसल

मूंगफली एक पोषण से भरपूर स्वास्थ्यवर्धक फसल है, जो प्रोटीन, विटामिन, और आवश्यक तेलों का समृद्ध स्रोत है। इसमें प्रोटीन की उच्च मात्रा होती है, जो मांसपेशियों को मजबूत बनाने और शरीर के विकास में सहायक है। मूंगफली में मौजूद विटामिन बी, विटामिन ई, और फोलेट हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और कोशिकाओं की मरम्मत में मदद करते हैं। इसके अलावा, इसमें पाए जाने वाले अच्छे वसा (मोनो और पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड) कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करते हैं और ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत प्रदान करते हैं।

हरियाणा सरकार की मूंगफली की खेती को बढ़ावा देने की पहल

हरियाणा सरकार मूंगफली की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है। किसानों को उन्नत बीज, खाद, और उपकरणों पर सब्सिडी के साथ सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रमों और पायलट प्रोजेक्ट्स के माध्यम से आधुनिक खेती की तकनीकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित करने और बेहतर विपणन सुविधाएं प्रदान करने से किसानों को बिक्री में मदद मिल रही है। जल प्रबंधन योजनाओं के तहत ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को बढ़ावा दिया जा रहा है। अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से उन्नत किस्मों का विकास और सरकारी योजनाओं के साथ फसल को जोड़कर इसे अधिक लाभकारी बनाया जा रहा है।