Moth (मोठ)

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मोठ की खेती हल्की भूमि में अच्छी होती है, मोठ के लिए बलुई दोमट एवं बलुई भूमि उत्तम होती है भूमि में जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ।

 मोठ की बिजाई के लिए मुख्यतया 20-35 डिग्री C तापमान होना चाहिए ।

15 जुलाई से 31 जुलाई के बीच का समय बढ़िया माना जाता है ।

मोठ दलहनी फसल होने के कारण इसे नाइट्रोजन की कम मात्रा की आवश्यकता होती है । एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 20 किलोग्राम नाइट्रोजन व 40 किलोग्राम फास्फोरस की आवश्यकता होती है। मोठ के लिए समन्वित पोषक प्रबंधन उचित रहता है । इसके लिए खेत की तैयारी के समय 2.5 टन गोबर या कंपोस्ट की मात्रा भूमि में अच्छी प्रकार से मिला देनी चाहिए ।

 आरएमओ -40, आरएमओ – 225, काजरी मोठ – 2, काजरी मोठ – 3, आरएमओ – 257 ।

 बुवाई से पहले 600 ग्राम राइजोबियम कल्चर को 1 लीटर पानी व 250 ग्राम गुड़ के घोल में मिलाकर बीज को उपचारित कर छाया में सूखाकर बोना चाहिए। अगर उपचारित बीज का उपयोग कर रहे हो तो उन्हें उपचारित न करें ।

 मोठ की बुवाई पंक्तियों से पंक्तियों की दूरी 45 सेंटीमीटर रखते हुए करनी चाहिए तथा पौधों से पौधों की दूरी 10 से.मी. उचित है ।

बिजाई के समय भूमि और पानी के अनुसार बीज का चयन करे । बिजाई के समय 6 से 7 Kg बीज में 40 KG DAP मिलाकर के बिजाई करें ।

यह फसल असिंचित अवस्था में बोई जाती है लम्बे समय तक बारिश न होने पर फसल बोने के 40-45 के अंदर एक बार सिंचाई करे ।

 मोठ की फसल को खरपतवार बहुत हानि पहुंचाते हैं खरपतवार नियंत्रण के लिए बाज़ार में उपलब्ध पेन्डीमैथालीन (स्टोम्प) की 3.30 लीटर लीटर का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से समान रूप से छिड़काव कर देना चाहिए I फसल जब 25-30 दिन की हो जाये तो एक गुड़ाई कस्सी से कर देनी चाहिए I यदि मजदूर उपलब्ध न हो तो इसी समय इमेजीथाइपर(परसूट) की बाजार में उपलब्ध  750 मि. ली. मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर देना चाहिए I

जब मोठ की फलियां पककर भूरी हो जाएं तथा पौधा पीला पड़ जाये तो फसल की कटाई कर लेनी चाहिये l लाटे को अच्छी प्रकार सूखने के पश्चात थ्रैसर द्वारा दाने को अलग कर लिया जाता है l

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