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Pink Boll Worm (गुलाबी सुंडी)

Table Of Content गुलाबी सुंडी लक्षण जीवन चक्र गुलाबी सूंडी का जीवन चक्र  इससे होने वाले नुकसान इसकी रोकथाम के उपाय सावधानियां Search गुलाबी सुंडी लक्षण जीवन चक्र गुलाबी सूंडी का जीवन चक्र  गुलाबी सुंडी पिंक बॉलवॉर्म एशिया का मूल निवासी है लेकिन दुनिया के अधिकांश कपास उगाने वाले क्षेत्रों

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About transformer theft cases

Table of Content ट्रांसफार्मर ट्रांसफार्मर चोरी या खराब होने पर ट्रांसफार्मर चोरी या खराब होने पर कहां शिकायत करें ट्रांसफार्मर कहां से मिलेगा Search ट्रांसफार्मर ट्रांसफार्मर चोरी या खराब होने पर ट्रांसफार्मर चोरी या खराब होने पर कहां शिकायत करें ट्रांसफार्मर कहां से मिलेगा ट्रांसफार्मर ट्रांसफार्मर एक उपकरण है जो

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Oak(Baanj tree)

Table of Contents बाँज या बलूत या शाहबलूत एक तरह का वृक्ष है जिसे अंग्रेज़ी में ‘ओक’ (Oak) कहा जाता है। बाँज (Oak) फागेसिई (Fagaceae) कुल के क्वेर्कस (quercus) गण का एक पेड़ है। इसकी लगभग ४०० किस्में ज्ञात हैं, जिनमें कुछ की लकड़ियाँ बड़ी मजबूत और रेशे सघन होते

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farmer honor conference(kisan samman sammelan)

https://youtu.be/-ztdWZyBMaQ?si=JQgT2ucRLGt35n8E नम: पार्वती पतये! हर हर महादेव! उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी शिवराज सिंह चौहान, भागीरथ चौधरी जी, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, विधान परिषद के सदस्य और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री भूपेंद्र चौधरी

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farmer honor conference(kisan samman sammelan)

Post “पीएम किसान की 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की 17वीं किस्त जारी की” “पीएम किसान सम्मान निधि दुनिया की सबसे बड़ी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना बनकर उभरी है” “मुझे खुशी है कि पीएम किसान सम्मान निधि में सही लाभार्थी तक पहुंचने के लिए प्रौद्योगिकी का सही इस्तेमाल किया गया

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Farmer Producer Organization

Table of Contents कच्चा आढ़तिया एसोसिएशन, सिरसा दुकान नंबर, फर्म का नाम एवं दुरभाष निर्देशिकाClick Hereसमुद्री जीवो से मोती की खेतीसमुद्री जीवों से मोती की खेती करते हैं जिसे सीप मोती कहते हैं | ये समुद्री जीव सीप होता है जिस से सीप के मोती की खेती करते हैं|Click Hereलाल

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मैस्टा

मैस्टा वार्षिक उगने वाली कपास और पटसन के बाद एक महत्वपूर्ण व्यापारिक फसल है| इस फसल का मूल स्थान एफ्रो-ऐशीआयी (Afro-Asian) देश है| इसका तना और छिलका रेशा बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है| हिबिसकस कैनाबिनस और हिबिसकस सबदारिफा नाम की दो प्रजातियों को आमतौर पर मैस्टा कहा जाता है| हिबिसकस सबदारिफा सूखे मौसम को सहने योग्य किस्म है और  हिबिसकस कैनाबिनस 50-90 मि.मी. बारिश वाले क्षेत्रों में उगाई जा सकती है,क्योंकि यह जल्दी पकने वाली फसल है| यह फसल उगाने वाले मुख्य राज्य महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, बिहार, उड़ीसा,मेघालय,कर्नाटक और त्रिपुरा आदि है|

जलवायु

Season

Temperature

25°C – 35°C
Season

Rainfall

60-90 cm
 
Season

Sowing Temperature

25°C – 28°C
Season

Harvesting Temperature

20°C – 25°C

मिट्टी

मैस्टा की फसल अलग-अलग तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती है| बढ़िया चिकनी मिट्टी में यह बढ़िया पैदावार देती है| तेज़ाबी और जल जमाव वाली ज़मीन मैस्टा की खेती के लिए उचित नहीं है| इसके लिए मिट्टी का pH 4.5-7.8 होना चाहिए|

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

Hibiscus sabdariffa: AMV 1, AMV 2, AMV 3, 4, HS 4288, HS 7910 (आसाम,मेघालय,त्रिपुरा, पश्चिमी बंगाल में उगाने योग्य किस्में)
Hibbiscus cannabinus: HC 583 (पश्चिमी बंगाल में उगाने योग्य किस्में)
दूसरे राज्यों की किस्मे
Hibiscus Cannabinus MT 150 (Nirmal): यह किस्म सारे मैस्टा उत्पादक राज्यों के लिए सहायक है| इसकी गुणवत्ता बहुत बढ़िया होती है और इस किस्म को मुख्य रूप से अख़बार बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है| इसकी औसतन पैदावार 13 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|
JRM­3 (Sneha): यह पूरे देश में उगाने योग्य किस्म है| यह कीटों और बीमारीयों की रोधक किस्म है| इसकी औसतन पैदावार 10.5-15 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|
JRM­5 (Shrestha): इसकी औसतन पैदावार 12 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|
Hibiscus Sabdariffa AMV 7: यह किस्म 130-135 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है| यह नमी की कमी को सहने योग्य, कीटों और बीमारीयों की रोधक किस्म है| इसकी औसतन पैदावार 10.5-13 क्विंटल प्रति एकड़ होती है|

ज़मीन की तैयारी

मानसून आने से पहले खेत की अच्छी तरह से जोताई करके मिट्टी को भुरभुरा कर लें| जोताई के बाद मिट्टी को नदीनों और अन्य बचे-खुचे पदार्थो से मुक्त करें| फिर ज़मीन को अच्छी तरह से समतल करें|खेत की तैयारी के समय मिट्टी में 2-4 टन गली-सड़ी रूड़ी की खाद डालें|

बिजाई

बिजाई का समय मैस्टा की बिजाई के लिए मई-जून महीने का समय उचित माना जाता है| फासला बढ़िया विकास और पैदावार के लिए फसल में 30×10 सैं.मी. का फासला रखने की सिफारिश की जाती है| बीज की गहराई बीजों की बिजाई 2.5-3 सैं.मी. गहराई पर करें| बिजाई का ढंग इसकी बिजाई आमतौर पर बुरकाव विधि द्वारा की जाती है पर पंक्तियों में बिजाई करना भी  लाभदायक सिद्ध होता है|

बीज

बीज का उपचार बिजाई से पहले मैनकोजेब 3 ग्राम प्रति किलो से बीज का उपचार करें| बीज की मात्रा हिबिसकस सबदारिफा के लिए 6 किलो प्रति एकड़ और हिबिसकस कैनाबिनस के लिए 5 किलो प्रति एकड़ बीज का प्रयोग करें|

खाद

खादें(किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA SSP MOP
36 50 14
तत्व(किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
16 8 8
ज्यादा पैदावार लेने के लिए नाइट्रोजन 16 किलो (यूरिया 36 किलो), फासफोरस 8 किलो (सिंगल सुपर फासफेट 50 किलो) और पोटाश 8 किलो (मिउरेट ऑफ़ पोटाश 14 किलो) प्रति एकड़ डालें| फासफोरस और पोटाश का सारा हिस्सा और नाइट्रोजन का 1/3 हिस्सा बिजाई के समय डालें| बाकि बची नाइट्रोजन को दो बराबर हिस्सों में बांटे| पहला हिस्सा बिजाई से 21 दिन बाद और दूसरा हिस्सा बिजाई से 35 दिन बाद गोड़ाई करने के समय डालें|

खरपतवार नियंत्रण

खेत को साफ और नदीन-मुक्त करने के लिए गोड़ाई करें और पौधों को विरला करें| पहली गोड़ाई बिजाई से 21 दिन बाद और दूसरी गोड़ाई बिजाई से 35 दिन बाद करें और साथ-साथ कमज़ोर पौधों को बाहर निकाल दें| नदीनों को रायासनिक ढंग से रोकने के लिए बिजाई से 2-3 दिन पहले फ्लूक्लोरालिन 800 मि.ली. प्रति एकड़ डालें या बिउटाक्लोर 1200 मि.ली. प्रति एकड़  या पेंडीमैथालीन 1-1.25 लीटर प्रति एकड़ को बिजाई के तुरंत बाद डालें|

सिंचाई

सिंचित फसल होने के कारण इसे ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है| अगर जरूरत हो तो मौसम और मिट्टी की किस्म के अनुसार सिंचाई करें|

पौधे की देखभाल

    कीट और रोकथाम
  • चेपा: 
  • अगर खेत में इसका नुकसान दिखाई दे तो डाईमैथोएट 2 मि.ली. या ऐमिडाक्लोप्रिड 0.25 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें या थाइओमैथोकसम 0.2 ग्राम या ऐसेटामिप्रिड 0.2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें|
  • हरी सुंडी:
  •  अगर इसका नुकसान दिखाई दे तो थाइओडीकार्ब 1 ग्राम या इंडोकसाकार्ब 1 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें|
  • मिली बग:
  •  जब नुकसान कम हो तो इसकी प्रभावशाली रोकथाम के लिए नीम का तेल 5 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें| अगर नुकसान ज्यादा हो तो प्रोफैनोफॉस 2 मि.ली. या ट्राईज़ोफोस 2 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें|
  • तेला:
  •  इसकी रोकथाम के लिए ऐमिडाक्लोप्रिड 0.25 मि.ली. या थाइओमैथोकसम 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें|
  • बीमारीयां और रोकथाम
  • जड़ और तना गलन: खेत में अच्छे निकास का प्रबंध करें और पानी को खड़ा न होने दें| बिजाई से पहले प्रति किलो बीजों का 3 ग्राम मैंकोजेब के साथ उपचार करें| अगर इसका हमला दिखी दें तो रिडोमिल 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें|
  • पत्तों का झुलस रोग: 
  • यदि इसका हमला दिखाई दे तो, 3 ग्राम मैंकोजेब या कॉपर आक्सीक्लोराइड 3 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें| जरूरत पड़ने पर 7 दिनों के फासले पर दोबारा स्प्रे करें|
  • नाड़ियों का पीला चितकबरा रोग:
  •  यह रोह सफेद मक्खी से फैलता है| सफेद मक्खी के हमले की जांच करें| बिजाई से 50 दिन बाद थाइओमैथोकसम 0.1 ग्राम या ऐमिडाक्लोप्रिड 0.25 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें|

फसल की कटाई

फसल की कटाई समय पर करें, क्योंकि कटाई जल्दी करने से रेशे की पैदावार कम हो जाती  है और देरी से कटाई करने पर रेशे की गुणवत्ता खराब हो जाती है| 50% फूलों के खिलने पर कटाई का उचित समय होता है| कटाई के समय फसल को ज़मीन के नज़दीक से काटें|

कटाई के बाद

कटाई के बाद फसल को तने के आकार के अनुसार छांट लें| फिर तने को बांध कर खेत में पत्ते झड़ने के लिए रख दें|
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