- भूमि
- तापमान
- उचित समय
- भूमि की तेयारी
- उच्चतम वैरायटी
- बीज उपचार
- बिजाई का तरीका
- खरपतवार नियंत्रण
- रोग व उनके उपचार
- बिजाई
- सिंचाई
- अब फसल पकने का इंतजार करें
मक्के के लिए सभी प्रकार की भूमि उपयुक्त होती है । बलुई, दोमट मिट्टी मक्का की खेती के लिये बेहतर समझी जाती है ।
मक्के की बिजाई के लिए मुख्यतया 25-35 डिग्री C तापमान होना चाहिए ।
मक्का की बुवाई का सही समय इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे किस ऋतु में बोना चाहते हैं :-
- खरीफ़ में मक्का की बुवाई का सही समय मध्य जून से मध्य जुलाई तक होता है.
- रबी में मक्का की बुवाई का सही समय अक्टूबर से नवंबर तक होता है.
- जायद में मक्का की बुवाई का सही समय फ़रवरी से मार्च तक होता है.
- पहाड़ी और कम तापमान वाले इलाकों में मक्का की बुवाई मई के अंत से जून की शुरुआत में की जा सकती है.
- अगर वसंत ऋतु जल्दी आ जाए, तो मध्य अप्रैल में मक्का की बुवाई से भी अच्छी उपज मिलती है.
- मक्का की बुवाई के लिए, खेत की तैयारी जून से अगस्त के दूसरे सप्ताह में शुरू कर देनी चाहिए.
- मक्का की बुवाई के लिए, ऐसी ज़मीन का चुनाव करें जिसमें जल निकास की अच्छी व्यवस्था हो.
मक्के की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी को पर्याप्त मात्रा में उवर्रक देना आवश्यक होता है इसके लिए 6 से 8 टन पुरानी गोबर की खाद को खेत में डाल देना चाहिए । भूमि में जस्ते की कमी होने पर बारिश के मौसम से पहले 25 किलो जिंक सल्फेट की मात्रा को खेत में डाल देना चाहिए । खाद और उवर्रक को चुनी गई उन्नत किस्मो के आधार पर देना चाहिए । इसके बाद बीजो की रोपाई के समय नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा को देना चाहिए और इसके दूसरे भाग को बीज रोपाई के एक माह बाद दे और अंतिम भाग को पौधों में फूलो के लगने के दौरान देना चाहिए l
गंगा-5 , डेक्कन-101 , गंगा सफेद-2 , गंगा-11, डेक्कन-103 l
इसके लिए सबसे पहले बीजो को थायरम या कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम की मात्रा को प्रति 1 किलो बीज को उपचारित कर ले l इस उपचार से बीजो को फफूंद से बचाया जाता है l इसके बाद बीजो को मिट्टी में रहने वाले कीड़ो से बचाने के लिए प्रति किलो की दर से थायोमेथोक्जाम या इमिडाक्लोप्रिड 1 से 2 ग्राम की मात्रा से उपचारित कर लेना चाहिए l
पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60-70 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेंटीमीटर रखी जाती है l
बोने के 15-20 दिन बाद डोरा चलाकर निराई-गुड़ाई करनी चाहिए या रासायनिक खरपतवारनाशक मे एट्राजीन नामक खरपतवारनाशक का प्रयोग करना चाहिए । एट्राजीन का उपयोग हेतु अंकुरण पूर्व 600-800 ग्रा./एकड़ की दर से छिड़काव करें इसके उपरांत लगभग 25-30 दिन बाद मिट्टी चढावें ।
तना सडन :- 150 ग्रा. केप्टान को 100 ली. पानी मे घोलकर जड़ों पर डालना चाहिये ।
डाउनी मिल्डयू :- डायथेन एम-45 दवा आवश्यक पानी में घोलकर 3-4 स्प्रे करना चाहिए ।
बिजाई के समय भूमि और पानी के अनुसार बीज का चयन करे । बिजाई के समय 16 से 20 Kg मक्के के बीज की बिजाई करें ।
बिजाई के 30 से 40 दिन के अंदर पहली सिंचाई करें और पहली सिंचाई के साथ 25-30 Kg प्रति एकड़ यूरिया खाद डालें । इसके बाद की सिंचाई पुष्प और दाना बंनने की स्थिती में की जाती है ध्यान रहे की फसल में पानी नहीं रुकना चाहिए ।
वैरायटी के हिसाब से जब फसल कटाई के लिए तैयार हो जाये तो दरांती से कटाई करें ।