मैथी(Fenugreek)

Table Of Content
Search
Search

मेथी की खेती सभी तरह की मिट्टियों में की जा सकती है लेकिन दोमट और बालू वाली मिट्टी इसके लिए ज्यादा उपयुक्त होती है इसमें कार्बनिक पदार्थ पाया जाता है । इसकी पैदावार वहां ज्यादा होती है जहां पीएच मान 6-7 के बीच होता है तथा जहां पानी के निकास के बेहतर इंतजाम होते हैं ।

इसके लिए 15-28 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान अच्छा माना जाता है।

इस फसल की बिजाई के लिए अक्तूबर का आखिरी सप्ताह और नवंबर का पहला सप्ताह अच्छा समय है।

मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत की दो – तीन बार जोताई करें उसके बाद सुहागे की सहायता से ज़मीन को समतल करें। आखिरी जोताई के समय 10-15 टन प्रति एकड़ अच्छी तरह से गली हुई रूड़ी की खाद डालें। अगर आप रयासनो का उपयोग करते है तो 12 किलो यूरिया, 8 किलो पोटेशियम,  50 किलो सुपर फास्फेड और 5 किलो नाइट्रोजन मिलाकर डालनी चाहिये ।

कसूरी मेथी, पूसा अर्ली बंचिंग, लाम सिलेक्शन, कश्मीरी मेथी, हिसार सुवर्णा, हिसार माधवी, हिसार सोनाली आदि ।

 

एक एकड़ खेत में बिजाई के लिए 12 किलोग्राम प्रति एकड़  बीज की आवश्यकता होती है ।

बिजाई से पहले बीजों को 8 से 12 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। बीजों को मिट्टी से पैदा होने वाले कीट और बीमारियों से बचाने के लिए थीरम 4 ग्राम और कार्बेनडाज़िम 50 प्रतिशत डब्लयु पी 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज से उपचार करें। रासायनिक उपचार के बाद  एज़ोसपीरीलियम 600 ग्राम + ट्राइकोडरमा विराइड 20 ग्राम प्रति एकड़ से प्रति 12 किलो बीजों का उपचार करें ।

ज्यादातर किसान मेथी के बीज की बुवाई छिडकाव विधि से करते है  इसके अलावा कुछ किसान इसकी बुआई पंक्तियों मे करते हैं । इस प्रकार यदि पंक्तियों में मेथी की बुआई करते हैं तो पंक्ति से पंक्ति की दूरी 22 से 24 सेंटीमीटर की दूरी और 3-5 सेंटीमीटर की गहराई में बोएं ।

 मेथी के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है । मेथी के बीजो के अंकुरण के लिए खेत में नमी की आवश्यकता होती है इसलिए खेत में नमी बनाये रखने के लिए समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए । मेथी के खेत की पहली सिंचाई बीज रोपाई के एक महीने बाद कर दे । इसके पौधों को 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है तथा प्रत्येक सिंचाई को 20 दिन के अंतराल में करते रहना चाहिए  ।

 अच्छी वृद्धि के लिए अंकुरन के 15-20 दिनों के बाद ट्राइकोंटानोल हारमोन 20 मि.ली. प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें । बिजाई के 20 दिनों के बाद एनपीके (19:19: 19) 75 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी की स्प्रे भी अच्छी और तेजी से वृद्धि करने में सहायता करती है। अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए ब्रासीनोलाइड 50 मि.ली. प्रति एकड़ 150 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के 40-50 दिनों के बाद स्प्रे करें । इसकी दूसरी स्प्रे 10 दिनों के बाद करें। कोहरे से होने वाले हमले से बचाने के लिए थाइयूरिया 150 ग्राम प्रति एकड़ की 150 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के 45 और 65 दिनों के बाद स्प्रे करें ।

खेत को नदीन मुक्त करने के लिए एक या दो बार गोडाई करें । पहली गोडाई बिजाई के 25-30 दिनों के बाद और दूसरी गोडाई पहली गोडाई के 30 दिनों के बाद करें । नदीनों को रासायनिक तरीके से रोकने के लिए फलूक्लोरालिन 300 ग्राम प्रति एकड़ में डालने की सिफारिश की जाती है इसके इलावा पैंडीमैथालिन 1.3 लीटर प्रति एकड़ को 200 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के 1-2 दिनों के अंदर अंदर मिट्टी में नमी बने रहने पर स्प्रे करें ।

चेपा :-  यदि चेपे का हमला दिखे तो  इमीडाक्लोप्रिड 3 मि.ली को 10 लीटर पानी या थायामैथोक्सम 4 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें ।

जड़ गलन :- फसल को जड़ गलन से बचाने के लिए मिट्टी में नीम केक 60 किलोग्राम प्रति एकड़ में डालें । बीज उपचार के लिए ट्राइकोडरमा विराइड 4 ग्राम से प्रति किलोग्राम बीजों का उपचार करें। यदि खेत में जड़ गलन का हमला दिखें तो इसकी रोकथाम के लिए कार्बेनडाज़िम 5 ग्राम या कॉपर ऑक्सीकलोराइड 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर डालें।

पत्तों पर सफेद धब्बे :- पत्तों की ऊपरी सतह पर सफेद रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। यदि इनका हमला दिखे तो पानी में घुलनशील 20 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यदि दोबारा स्प्रे की जरूरत पड़े तो 10 दिनों के अंतराल पर करें या पेनकोनाज़ोल 10 ई सी 200 मि.ली को 200 लीटर पानी में डालकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।

सब्जी के तौर पर उपयोग के लिए इस फसल की कटाई बिजाई के 20-25 दिनों के बाद करें। मेथी की फसल को तैयार होने के लिए 130 से 140 दिन का समय लग जाता है । जब इसके पौधों पर पत्तियां पीले रंग की दिखाई देने लगे है तब इनकी कटाई कर लेनी चाहिए । फसल की कटाई के बाद इसके पौधों को धूप में अच्छे से सूखा लेना चाहिए सूखी हुई फसल से मशीन की सहायता से दानो को निकल ले । 

Posts
Previous slide
Next slide