- भूमि
- आदर्श तापमान
- पत्ता गोभी की खेती कब की जाती है?
- भूमि की तैयारी
- उच्चतम किस्में
- बीज उपचार
- नर्सरी तैयार करना
- बिजाई का तरीका
- सिंचाई
- उर्वरक
- खरपतवार
- रोग नियंत्रण
- पत्ता गोभी की कटाई कब करते हैं?
गोभी की खेती के लिये सभी प्रकार की अच्छे जल निकास वाली भूमि उपयुक्त होती है, परंतु हल्की एवं दोमट मिट्टी जिसका जल निकास अच्छा हो तथा पी. एच. 5.5 से 6.8 हो अधिक उपयुक्त होती है । अम्लीय भूमि में गोभी की खेती अच्छी नही होती हैं ।
पत्तागोभी एक दृढ़ सब्जी है जिसे आमतौर पर ठंडा मौसम पसंद होता है। ज्यादातर मामलों में, इसके लिए आदर्श तापमान 45 और 75 °F (7-23 °C) के बीच होता है। यह पौधा पाला सहन कर सकता है और 20 °F (-6 °C) तक के तापमान में जीवित रह सकता है। ठंडे ग्रीष्मकाल वाले क्षेत्रों में, हम पतझड़ की फसल के लिए वसंत के आखिरी दिनों में अपने पौधे लगाना शुरू कर सकते हैं। हल्की सर्दियों वाली, ठंडी जलवायु में, हम सर्दियों या वसंत में इसकी फसल पाने के लिए गर्मियों के दौरान पत्तागोभी लगा सकते हैं
आमतौर पर पत्ता गोभी फसल की अवधि 60-120 दिन होती है। औसत उत्पादन 200-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। किसान इसे सितंबर से अक्टूबर तक क्यारियों में बिजाई कर सकते हैं।
- ज़मीन की गहरी जुताई करें.
- खेत को समतल और भुरभुरा बनाएं.
- खेत में जल भराव की समस्या न हो.
- खेत में खरपतवार न हों.
- खेत में पुरानी खाद और जैविक खाद मिलाएं.
- मिट्टी का पीएच स्तर 6.5-6.8 के बीच होना चाहिए.
- रेतीली मिट्टी में नाइट्रोजन मिलाएं.
- बीजों को कवकनाशकों और कीटनाशकों से उपचारित करें ।
- बीजों की दर प्रति एकड़ लगभग 10-12 किलोग्राम होनी चाहिए ।
अगेती किस्में :- गोल्डेन एकर, प्राइड आफ इंडिया, पूसा मुक्ता आदि प्रमुख है ।
मध्यम किस्में :- अर्ली ड्रमहेड, पूसा मुक्त आदि प्रमुख है ।
पछेती किस्में :- पूसा ड्रमहेड, लेट ड्रमहेड- 3 गणेश गोल, हरी रानी गोल आदि प्रमुख है ।
रोगों से बचाव के लिए बीज और पौधशाला की मिट्टी को कवकनाशी या थीरम आदि से उपचारित कर लेना चाहिए। बीज और पौधशाला को ट्राइकोडर्मा से भी उपचारित किया जा सकता है ।
पत्तागोभी की पौध तैयार करने के लिए बीजों की बुवाई उठी हुई क्यारियों में की जाती है । पौधशाला हेतु अच्छे जल निकास वाली भूमि में 3 मीटर लम्बी, 1 मीटर चौड़ी तथा 15 सेंटीमीटर ऊँची क्यारियां बना लें तथा दो क्यारियों के बीच में 30 सेंटीमीटर स्थान छोड़ें, ताकि वर्षा का पानी नाली से होते हुए बाहर निकल जाये । बुवाई से पूर्व मृदा सोलेराइजेशन, फफूंदनाशक एवं कीटनाशक के प्रयोग द्वारा मृदा उपचारित करें ।
पत्तागोभी की पौध 4-6 सप्ताह बाद रोपण योग्य हो जाती है । पौधों की रोपाई से पूर्व ट्राइकोडर्मा हर्जीयानम की 4 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर घोल बना लें और पौधों की जड़ों को दस मिनट के लिए घोल में उपचारित करने बाद ही पौधों की रोपाई करें । अगेती किस्मों को 45 x 45 सेंटीमीटर तथा पिछेती किस्मों को 60 x 45 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए जहाँ तक सम्भव हो पौधरोपण सायंकाल में करें तथा रोपण उपरान्त हल्की सिंचाई कर दें ।
फसल को खेत में लगाने के तुरंत बाद पहली सिंचाई दें । ज़मीन और वातावरण के अनुसार सर्दियों में 10-15 दिनों के बाद सिंचाई करें । नए उगे पौधों को सही मात्रा में पानी दें । ज्यादा पानी देने की सूरत में फूलों में दरारें पड़ जाती हैं ।
उपर बताई गयी शेष आधी नाइट्रोजन की मात्रा दो बराबर भागों में बांटकर खड़ी फसल में 30 और 45 दिन बाद उपरिवेशन के रूप में देना चाहिए । अच्छी पैदावार लेने के लिए और अधिक फूलों के लिए 5-7 ग्राम घुलनशील खादें (19:19:19) प्रति लि. का प्रयोग करें । रोपाई के 40 दिनों के बाद 4-5 ग्राम, नाइट्रोजन और फास्फोरस, 2.5-3 ग्राम लघु तत्व और 1 ग्राम बोरोन प्रति लि. का छिड़काव करें। फूल की अच्छी गुणवत्ता के लिए 8-10 ग्राम घुलनशील खादें प्रति लि. पानी में मिलाएं । बीजने के 30-35 दिनों के बाद मैगनीश्यिम की कमी को पूरा करने के लिए 5 ग्राम मैगनीश्यिम फास्फोरस प्रति लि. प्रयोग करें। कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट 5 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर 30-35 दिनों के बाद डालें कभी कभी बेरंग तने देखे जा सकते हैं फूल भी भूरे रंग के हो जाते हैं और पत्ते मुड़ने लग जाते हैं यह बोरोन की कमी के कारण होता है इसके लिए बोरैक्स 250-400 ग्राम प्रति एकड़ में डालें ।
खरपतवार को नियंत्रण करने के लिए किसान भाइयों को खेत की कम से कम चार बार निराई गुड़ाई करनी चाहिये । निराई गुड़ाई करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि खरपतवार निकालने से जो मिट्टी जड़ों से हट जाती है उसे फिर से चढ़ा देना चाहिये । इसके अलावा खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडीमेथालिन की 3 लीटर मात्रा को एक हजार लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें ।
रोग :- पत्तागोभी की सब्जियां विभिन्न कीड़ों से प्रभावित होती हैं जैसे कैटरपिलर लार्वा, पत्ता गोभी पर पत्तागोभी का मक्खन मक्खी, साथ ही ब्लैक लेग, क्लब रूट, गोनोरिया, सीडलिंग पतन, लीफ स्पॉट जैसे रोग
उपाय :- कीड़ों के संक्रमण के लिए नर्सरी से संक्रमित सब्जियों में एंडोसल्फान 35 सीसी 290 मिली या फॉस्फोमिडॉन 85 डब्ल्यूयूएससी 60 मिली या मैलाथियान 50 सीसी 250 मिली प्रति हेक्टेयर 250 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें
किसान भाइयों जब फसल तैयार हो जाये तब आपको फसल की कटाई यानी पत्तागोभी की तुड़ाई बाजार भाव देख कर करें । अधिकांश किस्मों की फसलें 75 से 90 दिनों के भीतर तैयार हो जातीं हैं जबकि कुछ ऐसी किस्में भी हैं जिनकी फसल 55 दिन में ही कटाई के लिए तैयार हो जाती है । पत्तागोभी के पूरा बड़ा होने पर ही उसकी कटाई करनी चाहिये । पत्तागोभी अच्छी तरह कड़ा होने पर ही काटा जाना चाहिये । किसान भाइयों पत्तागोभी की कटाई का समय ठंडा मौसम ही सबसे उपयुक्त होता है इसको कटाई के बाद छाया या नमी वाली जगह में रखना चाहिये जिससे काफी समय तक ताजा बना रहे जब पत्तागोभी कड़ा हो जाये और उसके पत्ते अलग अलग होने लगे तो तुरन्त काट लेना चाहिये ।