- भूमि
- तापमान
- उचित समय
- भूमि की तेयारी
- उच्चतम वैरायटी
- बीज उपचार
- बिजाई का तरीका
- बिजाई
- सिंचाई
- अब फसल पकने का इंतजार करें
सरसों लगभग सभी प्रकार की कृषि योग्य भूमि में पैदा हो सकती है । इसके लिए बलुई मिट्टी या रेतीली मिट्टी अच्छी मानी जाती है ।
सरसों की बिजाई के लिए मुख्यतया 18-25 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए ।
25 सितम्बर से 25 अक्टूबर के बीच का समय सरसों की बिजाई के लिए बढ़िया माना जाता है ।
खरीफ की कटाई के बाद भूमि की अच्छे से गहरी जुताई करके उसमे पानी दे । पानी देने के 7-10 दिन (मौसम के अनुसार) भूमि में 50-70 क्विंटल रूढ़ी की खाद डालकर या 200 Kg जिप्सम और 50 की पोटाश डालकर दोबारा से बुवाई करे । बुवाई के लिए कल्टीवेटर – तोई – हेरो इत्यादी का इस्तेमाल करें ।
पायनियर, लक्ष्मी, श्रीराम 1666, पुस्सा-00, आरएच-30 ।
बीज का रासायनिक विधि से उपचार के लिए 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम + 2 ग्राम थिरम से 1 किलो बीज के हिसाब से उपचारित करे । बीज को कार्बोक्सिन 17.5% + थायरम 17.5% की 3 ग्राम मात्रा से 1 किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें । जैविक तरीके से उपचार के लिए 5 ग्राम ट्रायकोडर्मा विरिडी + 2 ग्राम PSB की मात्रा से 1 किलो बीज़ को उपचारित करे अगर उपचारित बीज का उपयोग कर रहे हो तो उन्हें उपचारित न करें ।
सरसों की बिजाई 2 तरीके से कर सकते है छींटा विधि और कतारों में । ज्यादातर सरसों की बिजाई कतारों में की जाती है । कतारों के बीच की दुरी लगभग 1 से 1.5 फीट होती है ।
बिजाई के समय भूमि और पानी के अनुसार बीज का चयन करे । बिजाई के समय 1 से 1.5 Kg सरसों के बीज की बिजाई करें ।
नोट: बिजाई के 30-35 दिन के बाद सरसों में से निराई गुड़ाई करके खरपतवार निकाले ।
पहली सिंचाई: बिजाई के 40 से 50 दिन के अंदर पहली सिंचाई करें और पहली सिंचाई के साथ 40-45 Kg प्रति एकड़ यूरिया खाद डालें ।
पहली सिचाई के बाद फसल में गुड़ाई अवश्य करें इससे पोधे की ग्रोथ अच्च्छी होती है ।
दूसरी सिंचाई: बिजाई के 70 से 80 दिन के अंदर दूसरी सिंचाई करें और अगर बारिश हो जाये तो दूसरी सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती ।
नोट: सरसों में तेला का विशेष ध्यान रखे अगर तेला रोग आता है तो मोनो या कांफिडर का छिडकाव करें |
नोट: फसल पकते समय जडगलन रोग की समस्या आ सकती है ।
फसल के पकने का समय 5 मार्च से 25 मार्च के लगभग माना जाता है । फसल पकने पर इसकी फलियाँ पिली पड जाती है और दाने सख्त हो जाते है । फसल पकने के बाद अपने सुविधाजनक साधनों से फसल की कटाई और कढ़ाई करे ।