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योजना अवधि:
20 सितंबर 2024 से 30 नवंबर
योजना के उद्देश्य:
राज्य सरकार ने 2024-2025 के लिए फसल अपशिष्ट प्रबंधन योजना शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को धान की पराली को मौके पर और मौके पर ही प्रबंधित करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
परियोजना के लाभ:
- किसानों को प्रति एकड़ ₹1,000/- का प्रोत्साहन मिलेगा।
- प्रत्याकर्षण राशि सीधे किसान के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से हस्तांतरित की जाएगी।
- इस परियोजना से न केवल किसानों की आय बढ़ेगी। बल्कि यह प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में भी मदद करती है।
परियोजना से कैसे लाभ उठाएं:
- किसानों को www.agriharyana.gov.in पर पंजीकरण कराना चाहिए
- परियोजना में भाग लेने वाले किसान धान की पराली (पराली) नहीं जलाते हैं।
परियोजना के तहत प्रोत्साहनों का विवरण:
ऑफ-साइट प्रबंधन:
- खेतों के बाहर चावल की पराली के प्रबंधन के लिए ₹ 1,000/- प्रति एकड़।
- किसानों से सहमति प्राप्त करने के बाद एफपीओ या पंजीकृत संगठनों को प्रोत्साहन दिया जाता है।
ऑफ-साइट प्रबंधन:
- खेतों के बाहर चावल की पराली के प्रबंधन के लिए ₹ 1,000/- प्रति एकड़।
- किसानों से सहमति प्राप्त करने के बाद एफपीओ या पंजीकृत संगठनों को प्रोत्साहन दिया जाता है।
संचालन की प्रक्रिया:
- ग्राम स्तरीय समिति भौतिक दौरे के माध्यम से क्षेत्र का निरीक्षण करेगी।
- कृषि क्षेत्र से जीपीएस-आधारित छवियों का उपयोग करके संचालन की निगरानी की जाएगी।
- जिला कार्यकारी समिति (डीएलईसी) प्रोत्साहन राशि को मंजूरी देगी और वितरित करेगी।
यह परियोजना न केवल किसानों की आय बढ़ाती है। बल्कि यह चावल की भूसी (पराली) को जलाने से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को भी रोकती है। यह संसाधनों के संरक्षण और कृषि स्थिरता को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।