- नैनो लिक्विड यूरिया
- फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर क्या है ?
- इसका उद्देश्य
- यूरिया क्या है ?
- यूरिया की खोज
- यूरिया के उपयोग
- यूरिया का उत्पादन
- यूरिया से होने वाले नुकसान
- नैनो यूरिया लिक्विड की खोज(NANO UREA)
- नैनो यूरिया लिक्विड क्या है ?
- नैनो उर्वरक (नैनो यूरिया) के लाभ
- नैनो यूरिया को लेकर भविष्य की संभावनाएं
इफको (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड) ने किसानों के लिए अपना नैनो लिक्विड यूरिया पेश किया है। इसे 31 मई 2021 को लॉन्च किया गया था। यह दुनिया का पहला नैनो लिक्विड यूरिया है। इसी के साथ भारत नैनो लिक्विड यूरिया लॉन्च करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। इस नैनो लिक्विड यूरिया को इफको ने विकसित किया है और इसका पैटेंट भी इसी के पास है।
भारत सरकार ने IFFCO के नैनो लिक्विड यूरिया को मान्यता देकर फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर (fertilizer control order) में शामिल किया है। इसमें शामिल होने वाला यह एकमात्र नैनो उर्वरक है। नैनो लिक्विड यूरिया की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व देता है। लिक्विड यूरिया की लॉन्चिंग के बाद इफको ने दावा किया है कि इसके उपयोग से देश में यूरिया की खपत 50% तक कम हो सकती है। इसका उद्देश्य पौधों के पोषण को बढ़ाना और दुनिया भर के किसानों की मदद करना है।
नैनो लिक्विड यूरिया को इफको ने लॉन्च किया था। इसे किसानों को देने से पहले देश भर में 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण (एफएफटी) में 94 से अधिक फसलों पर इसका परीक्षण किया गया था। किसान यूरिया का इस्तेमाल फसलों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए करते हैं, लेकिन इसका आधे से भी कम हिस्सा पौधों को मिल पाता था जबकि बाकि यूरिया मिट्टी और हवा में मिलकर प्रदुषण फैलाता था। हालांकि नैनो लिक्विड यूरिया ने काफी हद तक इस समस्या का समाधन कर दिया है।
फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर, 1985 (fertilizer control order), आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत केंद्र सरकार द्वारा जारी एक आदेश है।
किसानों को सही समय पर और सही कीमत पर उर्वरकों की सही गुणवत्ता की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, उर्वरक को एक आवश्यक वस्तु घोषित किया गया और उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO) को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 3 के तहत देश में उर्वरकों की कीमत, विनियमित, व्यापार, गुणवत्ता और वितरण के लिए लागू किया गया था।
फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर उर्वरक निर्माताओं, आयातकों और डीलरों का अनिवार्य पंजीकरण करता है। साथ ही ये देश में निर्मित/आयातित और बेचे जाने वाले सभी उर्वरकों के विनिर्देश, उर्वरक मिश्रण के निर्माण पर विनियमन, उर्वरक बैग पर पैकिंग और अंकन, प्रवर्तन एजेंसियों की नियुक्ति और गुणवत्ता की स्थापना प्रदान करता है। वहीं, नियंत्रण प्रयोगशालाओं और गैर-मानक/ नकली/ मिलावटी उर्वरकों के निर्माण/ आयात और बिक्री को प्रतिबंधित करता है।
नोट – पिछले कुछ दिनों से नैनो यूरिया लिक्विड काफी चर्चा में रहा है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि नैनो यूरिया लिक्विड क्या है, और आज दुनिया के लिए यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
यूरिया (Urea या carbamide(यूरिया जल रहित एवं जीवाणु रहित पाउडर के रूप में)) एक जहरीला ठोस कार्बनिक यौगिक है। यह रंगहीन, गंधहीन, सफेद और दानेदार होता है। इसका रासायनिक सूत्र (NH2)2CO होता है। यह पानी में आसानी से घुलनशील है। यूरिया सामान्यरूप से स्तनधारी (Mammals) और सरीसृप (Reptiles) प्राणियों के मूत्र में पाया जाता है। इसे खेती में नाइट्रोजनयुक्त रासायनिक खाद के रूप में उपयोग किया जाता है।
यूरिया को सर्वप्रथम 1773 में फ्रेंच वैज्ञानिक हिलेरी राउले ने मूत्र में खोजा था। वहीं, जर्मन वैज्ञानिक वोहलर ने सबसे पहले कृत्रिम विधि से यूरिया बनाया था। इससे पहले तक दुनिया में यह माना जाता था कि यूरिया जैसे कार्बनिक यौगिक को सजीवों के शरीर (किडनी) के बाहर बनाना असंभव है तथा इसको बनाने के लिए प्राण शक्ति की आवश्यकता होती है।
AgNCO (सिल्वर आइसोसाइनेट) + NH4Cl → (NH2)2CO (यूरिया) + AgCl
- यूरिया के उपयोग से कृषि मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है।
- वाहनों के प्रदूषण नियंत्रक के रूप में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
- रेजिन, प्लास्टिक एवं हाइड्रोजन के साथ-साथ यूरिया-फार्मेल्डिहाइड बनाने में भी इसका उपयोग होता है।
- इससे यूरिया-स्टीबामिन नामक काला-जार की दवा बनती है।
- इससे वेरोनल नामक नींद की दवा भी बनती है।
- यूरिया का उपयोग सेडेटिव (उत्तेजना को कम करने वाली और व्यक्ति को शांत करने वाली) दवाओं को बनाने में भी किया जाता है।
भारत में साल 2008-09 में यूरिया का उत्पादन लगभग 2 करोड़ टन था। इस दौरान इसकी खपत करीब 2.4 करोड़ टन थी। इसलिए देश में यूरिया की जरूरत को पूरा करने के लिए इसका आयात किया जाता था। बाद में यूरिया उत्पादन की क्षमता साल दर साल बढ़ाती गई।
धरती पर रहने वाले सभी जीवों के लिए भोजन और कृषि अति आवश्यक है। किसानों ने लंबे समय तक पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके फसलें उगाई। लेकिन जब दुनिया की आबादी बढ़ी तो साथ-साथ भोजन की खपत भी बढ़ने लगी। इसके लिए किसानों ने पौधों की नाइट्रोजन आवश्यकताओं को पूरा करने और खाद्य फसल की उपज बढ़ाने के लिए खेती में यूरिया का उपयोग करना शुरू किया।
यूरिया फसलों की उपज बढ़ाने में मदद तो करता है, लेकिन इसके बार-बार और अधिक उपयोग से पर्यावरण के लिए खतरा पैदा हो गया है। कुछ अध्ययनों के अनुसार, किसानों द्वारा छिड़के जाने वाले लगभग 40% यूरिया का पौधे उपयोग नहीं करते हैं, ये मिट्टी और भूजल में फैल कर प्रदुषण फैलाता है।
इसके अलावा, अतिरिक्त यूरिया नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन करता है, यह हानिकारक ग्रीनहाउस गैस पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकती है। लेकिन यूरिया के बिना, किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें फसल की कम पैदावार और जीविकोपार्जन में असमर्थता शामिल है, तो आखिर इसका हल क्या है? इन सभी समस्याओं का समाधान करते हुए इफको ने पहला नैनो यूरिया लिक्विड पेश किया, जो यूरिया का उपयोग करते समय देखी गई कमियों के लिए एक सफल समाधान है।
इफको और इसके कृषि वैज्ञानिक पिछले 5 दशकों से किसानों के लिए फसल की पैदावार में सुधार, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता के साथ किसानों के जीवन को समृद्ध बनाने के मिशन के साथ काम कर रहे हैं। ऐसे ही इफको के एक वैज्ञानिक है- रमेश रालिया। रालिया ही नैनो यूरिया का आविष्कार करने वाले वैज्ञानिक हैं। वो साल 2015 से नैनो यूरिया विकसित करने पर काम कर रहे थे। रालिया साल 2019 से नैनो यूरिया के राष्ट्रव्यापी परीक्षण में सक्रिय भागीदार रहे हैं। वर्षों की मेहनत के बाद गुजरात के कलोल में इफको के नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) में इस अभिनव उत्पाद को तैयार किया गया।
स्वदेशी रूप से निर्मित लिक्विड नैनो यूरिया एक तरल उर्वरक है जो पौधों को आवश्यक नाइट्रोजन प्रदान करता है। ये नाइट्रोजन पौधों में अमीनो एसिड, वर्णक, एंजाइम और आनुवंशिक सामग्री के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। नैनो यूरिया तरल, एक नैनो-प्रौद्योगिकी-आधारित उत्पाद है जिसने सामान्य कृषि उर्वरकों से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान किया है। राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) के हिस्से के रूप में 2019-20 में देश के 30 एग्रो क्लाइमेटिक जोन के 11000 किसानों के खेतों में 94 फसलों पर इसका 2 साल तक परीक्षण किया गया था। इसके अलावा भारतीय कृषि अनुंसधान परिषद (ICAR) के 20 से अधिक संस्थानों और कृषि विश्वविद्यायों में भी लिक्विड यूरिया का सफल परीक्षण हो चुका है। इस दौरान पारंपरिक नाइट्रोजन पूरकता विधियों की तुलना में नैनो यूरिया के कई फायदे दिखाई दिए।
नैनो यूरिया, ठोस यूरिया का ही तरल रूप है। यह कम लागत में फसल की नाइट्रोजन जरूरतों को पूरा करने के लिए नैनो तकनीक का उपयोग करता है। यहां हम नैनो यूरिया के कुछ लाभ के बारे में बता रहे हैं:-
नैनो यूरिया के उपयोग से फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी देखी गई है। कुछ परीक्षणों के अनुसार ल्क्विड यूरिया के उपयोग से फसलों की पैदावार में करीब 8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
नैनो यूरिया का विषाक्तता और जैव सुरक्षा को लेकर परीक्षण किया गया था। इस परीक्षण में यह पाया गया कि नैनो यूरिया मनुष्यों, जानवरों, पक्षियों और मिट्टी के जीवों के लिए सुरक्षित है।
500 मिलीलीटर नैनो यूरिया की एक बोतल में 40,000 मिलीग्राम/एमएल नाइट्रोजन होती है जो एक एकड़ खेती को नाइट्रोजन प्रदान करने के लिए पर्याप्त हो सकती है। इतनी ही जमीन को नाइट्रोजन देने के लिए ठोस यूरिया के 2.5 बैग लगते हैं।
नैनो-प्रौद्योगिकी-आधारित उत्पाद (नैनो लिक्विड यूरिया) बढ़ी हुई दक्षता के साथ सबसे उन्नत नाइट्रोजन उर्वरक है।
नैनो यूरिया एक लागत प्रभावी उत्पाद है और खेत में इसकी कम मात्रा डालने पर ही फसलों को जरुरी नाइट्रोजन प्राप्त हो जाती है।
खेती के लिए नैनो यूरिया का उपयोग करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान पड़ता है। इससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होगा और हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार होगा।
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