- ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ (पीएम-आशा)
- उद्देश्य
- पीएम- आशा के प्रमुख घटक
- मूल्य समर्थन योजना
- मूल्य न्यूनता भुगतान योजना
- निजी खरीद एवं स्टॉकिस्ट योजना
- किसानों के हित में कैबिनेट द्वारा लिये गए अन्य फैसले
सरकार की किसान अनुकूल पहलों को बढ़ावा देने के साथ-साथ अन्नदाता के प्रति अपनी जवाबदेही को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक नई समग्र योजना ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ (Pradhan Mantri Annadata Aay SanraksHan Abhiyan- PM-AASHA) को मंज़ूरी दे दी है। यह किसानों की आय के संरक्षण की दिशा में भारत सरकार द्वारा उठाया गया एक असाधारण कदम है जिससे किसानों के कल्याण हेतु किये जाने वाले कार्यों में अत्यधिक सफलता मिलने की आशा है।
इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिये उचित मूल्य दिलाना है, जिसकी घोषणा वर्ष 2018 के केंद्रीय बजट में की गई है।
- नई समग्र योजना में किसानों के लिये उचित मूल्य सुनिश्चित करने की व्यवस्था शामिल है और इसके अंतर्गत आने वाले प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं
♦ मूल्य समर्थन योजना (Price Support Scheme-PSS)
♦ मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (Price Deficiency Payment Scheme- PDPS)
♦ निजी खरीद एवं स्टॉकिस्ट योजना (Private Procurement & Stockist Scheme- PPSS)
- इसके तहत दालों, तिलहन और खोपरा / गरी (Copra / coconut) की भौतिक खरीदारी राज्य सरकारों के सक्रिय सहयोग से केंद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा की जाएगी।
- यह भी निर्णय लिया गया है कि नैफेड के अलावा भारतीय खाद्य निगम (FCI) भी राज्यों/ज़िलों में PSS परिचालन की जिम्मेदारी संभालेगा।
- खरीद पर होने वाले व्यय और खरीद के दौरान होने वाले नुकसान को केंद्र सरकार मानकों के मुताबिक वहन करेगी।
- इसके तहत उन सभी तिलहनी फसलों को कवर करने का प्रस्ताव किया गया है जिसके लिये MSP को अधिसूचित कर दिया जाता है।
- इसके तहत MSP और बिक्री/औसत मूल्य के बीच के अंतर का सीधा भुगतान पहले से ही पंजीकृत उन किसानों को किया जाएगा जो एक पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के ज़रिये अधिसूचित बाज़ार में अपनी उपज की बिक्री करेंगे।
- समस्त भुगतान सीधे किसान के पंजीकृत बैंक खाते में किया जाएगा।
- इस योजना के तहत फसलों की कोई भौतिक खरीदारी नहीं की जाती है क्योंकि अधिसूचित बाज़ार में बिक्री करने पर MSP और बिक्री/औसत मूल्य में अंतर का भुगतान किसानों को कर दिया जाता है।
- PDPS के लिये केंद्र सरकार द्वारा सहायता, तय मानकों के अनुसार दी जायेगी।
- तिलहन के मामले में यह निर्णय लिया गया है कि राज्यों के पास यह विकल्प रहेगा कि वे चुनिंदा ज़िला/ज़िले की APMC (Agriculture Produce Market Committee) में प्रायोगिक आधार पर निजी खरीद एवं स्टॉकिस्ट योजना (PPSS-Private Procurement and Stockist Scheme) शुरू कर सकते हैं जिसमें निजी स्टॉकिस्टों की भागीदारी होगी।
- प्रायोगिक आधार पर चयनित ज़िला/ज़िले की चयनित APMC तिलहन की ऐसी एक अथवा उससे अधिक फसलों को कवर करेगी जिसके लिये MSP को अधिसूचित किया जा चुका है।
- चूँकि यह योजना अधिसूचित जिंस की भौतिक खरीदारी की दृष्टि से PSS(Private Procurement and Stockist Scheme) से काफी मिलती-जुलती है, इसलिये यह प्रायोगिक आधार पर चयनित ज़िलों में PSS/PDPS को प्रतिस्थापित करेगी।
- जब भी बाज़ार में कीमतें अधिसूचित MSP से नीचे आ जाएंगी तो चयनित निजी एजेंसी PPSS से जुड़े दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए पंजीकृत किसानों से अधिसूचित अवधि के दौरान अधिसूचित बाज़ारों में MSP पर जिंस की खरीदारी करेगी।
- यह व्यवस्था तब अमल में लाई जाएगी जब निजी चयनित एजेंसी को बाज़ार में उतरने के लिये राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की सरकार द्वारा अधिकृत किया जाएगा और अधिसूचित MSP के 15 प्रतिशत तक अधिकतम सेवा शुल्क देय होगा।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि :-
- सरकार उत्पादन लागत का डेढ़ गुना तय करने के सिद्धांत पर चलते हुए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (MSP) में पहले ही वृद्धि कर चुकी है।
- MSP में वृद्धि के कारण राज्य सरकारों के सहयोग से खरीद व्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी।
DFPD(Department of Food and Public Distribution) के साथ-साथ कपड़ा मंत्रालय की वर्तमान योजनाओं को जारी रखने का फैसला :-
- धान, गेहूँ एवं पोषक अनाजों/मोटे अनाजों की खरीद के लिये खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (Department of Food and Public Distribution- DFPD) की अन्य मौजूदा योजनाओं के साथ-साथ कपास एवं जूट की खरीद के लिये कपड़ा मंत्रालय की अन्य वर्तमान योजनाएँ भी जारी रहेंगी, ताकि किसानों के लिये इन फसलों की MSP सुनिश्चित की जा सके।
खरीद हेतु निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करने का फैसला :-
- कैबिनेट के अनुसार, खरीद परिचालन में प्रायोगिक तौर पर निजी क्षेत्र की भागीदारी भी सुनिश्चित करने की ज़रूरत है, ताकि इस दौरान मिलने वाली जानकारियों के आधार पर खरीद परिचालन में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाई जा सके।
नया बाज़ार ढाँचा स्थापित करने का प्रयास :-
- किसानों के लिये एक नया बाज़ार ढाँचा स्थापित करने के लिये भी प्रयास किये जा रहे हैं, ताकि उनकी उपज का उचित या लाभकारी मूल्य दिलाया जा सके।
- इनमें ग्रामीण कृषि बाज़ारों की स्थापना करना भी शामिल है, ताकि खेतों के काफी निकट ही 22,000 खुदरा बाज़ारों को प्रोत्साहित किया जा सके।