- कमलम की खेती
- भारत में कहाँ होती है कमलम की खेती
- कैसे की जाती है Dragon Fruit की खेती ?
Dragon Fruit Farming: कमलम या ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) औषधीय गुणों से परिपूर्ण एक बारहमासी कैक्टस है| इसकी खेती से सालाना 10 लाख रुपये तक कमाई की जा सकती है|
Dragon Fruit Farming: अगर आप कम खेत में मोटी कमाई करना चाहते हैं तो आपको कमलम या ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit Farming) की खेती करनी चाहिए भारत में कमलम (ड्रैगन फ्रूट) की खेती का क्षेत्र वर्तमान में 3,000 हेक्टेयर है, जिसे बढ़ाकर 50,000 हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य है | बिहार, यूपी, गुजरात, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु समेत कई राज्यों में Dragon Fruit की खेती होती है इससे वहां के किसान तगड़ी कमाई कर रहे हैं | ड्रैगन फ्रूट की खेती इसलिए खास है क्योंकि यह आमदनी का बेहतर स्रोत है इसमें बस एक बार पैसा लागकर आप 40 वर्ष तक इससे मुनाफा ले सकते हैं|
कमलम या ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) औषधीय गुणों से परिपूर्ण एक बारहमासी कैक्टस है, जिसका मूल उत्पादन दक्षिणी मैक्सिको, मध्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में शुरू हुआ. अंग्रेजी में ड्रैगन फ्रूट कहे जाने वाला पिटाया अलग-अलग नामों से लोकप्रिय है जैसे मेक्सिको में पिठैया, मध्य और उत्तरी अमेरिका में पिटया रोजा, थाईलैंड में पिथाजाह और भारत में संस्कृत नाम कमल से इस फल को कमलम कहा जाता है इसे “21वीं सदी का चमत्कारिक फल” भी कहा जाता है |
कमलम (Dragon Fruit) ने न केवल अपने लाल बैंगनी रंग और खाद्य उत्पादों के आर्थिक मूल्य के कारण बल्कि अपने जबरदस्त स्वास्थ्य लाभों के कारण हाल ही में दुनिया भर के उत्पादकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है | इस फल के छिलके सहपत्रों या शल्कों से ढके रहते हैं जिसके कारण यह फल पौराणिक जीव ‘ड्रैगन’ जैसा दिखता है, इसलिए इसका नाम ड्रैगन फ्रूट रखा गया है वर्तमान में इसकी खेती कम से कम 22 उष्णकटिबंधीय देशों में की जा रही है |
भारत में कमलम फल (Dragon Fruit) की खेती तेजी से बढ़ रही है और कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मिजोरम और नागालैंड के किसानों ने इसकी खेती करना शुरू कर चुके है |
ड्रैगन फ्रूट खेती पौधे और बीज दोनों से ही हो सकती है हालांकि अगर आप बीज से खेती करेंगे तो फल आने में 4-5 साल लग सकते हैं जबकि कलम से बनाए गए पौधे से खेती करने पर आपको 2 साल में ही फल मिलने शुरू हो जाते हैं इसकी खेती कम पानी में भी हो सकती है | इसकी खेती से पहले खेत में पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद जरूर डालें, ताकि पौधे को पोषक तत्व की कोई कमी ना हो |