सहजन का पौधा की जानकारी: इतिहास, पहचान, फायदे, नुकसान

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नमस्कार पाठकों ! क्या आपने सहजन के पौधे के बारे में सुना है ? यह एक ऐसा पौधा है जिसमें सेहत के लिए अनगिनत फायदे छुपे होते हैं। सहजन को ‘मोरिंगा’ या ‘ड्रमस्टिक’ भी कहा जाता है। इस पौधे के हर हिस्से का उपयोग हमारे खान-पान और औषधियों में किया जाता है। यहां हम आपको सहजन के पौधे की जानकारी देंगे जैसे कि इसके फायदे, इतिहास और अन्य रोचक तथ्य। आपको यह जानकार अच्छा लगेगा कि इस पौधे को नेचर का ‘फार्मेसी’ भी कहा जाता है। 

सहजन एक प्रकार का पौधा है जो हमारे खान-पान और सेहत में बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसे ‘मोरिंगा’ या ‘ड्रमस्टिक’ नाम से भी जाना जाता है। सहजन का पौधा लगभग 10 मीटर तक ऊंचा होता है। इसकी पत्तियां हरी-भरी और फलियां लंबी होती हैं। 

यह पौधा धूप में अच्छी तरह से उगता है और इसके हर हिस्से को खाने या औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। सहजन का तेल, पत्तियां, फूल और फलियां – सभी का उपयोग किया जाता है और इसमें सेहत के लिए कई फायदे होते हैं। इसलिए, सहजन को ‘नेचर की फार्मेसी’ कहा जाता है। इसके अलावा ये आसानी से भारत के अधिकांश भागों में पाया जाता है।

सहजन, जिसे ‘मोरिंगा’ भी कहा जाता है, का इतिहास बहुत प्राचीन है। इसे विश्व भर में एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा माना जाता है अनुमान लगाया जाता है कि सहजन की खेती और इसका उपयोग प्राचीन समय से ही हुआ करता था।

वेदों और अन्य प्राचीन ग्रंथों में भी सहजन का उल्लेख है। इसे भारत में औषधीय गुणों के लिए प्रयोग किया जाता था जैसे की त्वचा की समस्याओं, संक्रमण, और पाचन संबंधित समस्याओं के लिए।

भारत के अलावा अफ्रीका, अरब, और फिलीपींस में भी सहजन का पौधा उगाया जाता है और उसके फायदों का लाभ उठाया जाता है। आजकल वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से भी सहजन के अनेक औषधीय गुणों की पुष्टि हुई है।

सहजन के तेल, बीज, पत्तियों, और फलियों का उपयोग खाद्य और औषधीय प्रयोजनों के लिए होता है। इसके अलावा यह पौधा भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सवों में।

इस प्रकार सहजन अपने औषधीय गुणों और विविध उपयोग के लिए प्रसिद्ध है और इसका इतिहास हमें यह बताता है कि इस पौधे को कैसे प्रयोग में लाया गया और इसका महत्व क्या है।

सहजन जिसे वैज्ञानिक रूप में ‘मोरिंगा’ भी कहते हैं, एक विशेष प्रकार का पौधा है जिसे पहचानना काफी आसान है।

  • आकार और रंग: सहजन का पेड़ 10 से 12 फीट तक उंचा होता है। 
  • पत्तियाँ: इसकी पत्तियाँ हरी रंग की होती हैं। इसकी पत्तियाँ बारीक और छोटी होती हैं, जिसे ‘फेथर-लाइक’ भी कहा जाता है। ये पत्तियाँ एक खास पैटर्न में लगी होती हैं।
  • फूल: सहजन के फूल सफेद या सुनहरे रंग के होते हैं और वे छोटे गुच्छों में आते हैं।
  • फल: सहजन का फल लंबा और हरा होता है, जिसे ‘ड्रमस्टिक’ भी कहते हैं। यह फल खाद्य और औषधीय दोनों रूप में प्रयोग होता है।
  • बीज: सहजन के बीज बड़े और गोलाकार होते हैं। इन्हें तेल निकालने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।
  • तना: सहजन का तना ठोस और मजबूत होता है।
  • जड़ें: इसकी जड़ें भी मजबूत होती हैं जो पौधे को सहारा प्रदान करती हैं।

सहजन का पौधा उसकी विशेषताओं, फल, फूल और पत्तियों की स्थिति से आसानी से पहचाना जा सकता है। यह पौधा अपने औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है।

सहजन एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है जिसे ‘मोरिंगा’ भी कहा जाता है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है लेकिन इसकी खासियत है कि यह अलग-अलग प्रकार की जलवायु में भी उग सकता है। सहजन के कई प्रकार हैं जो उसके उपयोग, आकार और रंग के हिसाब से भिन्न होते हैं।

1. मोरिंगा ओलीफेरा (Moringa Oleifera):

यह सहजन का सबसे आम प्रकार है इसे ‘ड्रमस्टिक ट्री’ भी कहा जाता है। इसके पत्ते, फूल, फल और बीज सभी खाद्य और औषधीय उपयोग के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

2. मोरिंगा स्टेनोपेटला (Moringa Stenopetala):

इसे ‘आफ्रिकन मोरिंगा’ भी कहा जाता है। यह मुख्य रूप से अफ्रीका में पाया जाता है। इसके पत्ते भी खाद्य औषधीय उपयोग के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

3. मोरिंगा कोंसिग्ना (Moringa Concigna):

इसे ‘जंगली सहजन’ भी कहा जाता है। यह प्रमुख रूप से ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है।

4. मोरिंगा पेरिग्रिना (Moringa Peregrina):

इसका मुख्य उपयोग तेल के रूप में होता है। इस पौधे का तेल त्वचा और बालों के लिए भी उपयोगी होता है।

5. मोरिंगा हाइल्डेब्रांड्टीई (Moringa Hildebrandtii):

यह प्रकार भी मुख्य रूप से अफ्रीका में पाया जाता है और इसे भी औषधीय उपयोग में लिया जाता है।

सहजन का पौधा अब विश्व भर में अपने औषधीय और पौष्टिक गुणों के लिए प्रसिद्ध है। यह विटामिन, मिनरल और अन्य पौष्टिक तत्वों से भरपूर है। भारत में भी इसकी खेती की जाती है और इसके विभिन्न उपयोग हैं, जैसे की खाद्य, औषधीय और भी कई अन्य।

इस प्रकार सहजन न केवल अपने औषधीय गुणों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे खाद्य प्रणाली में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसकी विविधता और उपयोगिता ने इसे विश्वभर में लोकप्रिय बना दिया है।

सामान्य ऊर्जा की वृद्धि मोरिंगा उन पुरुषों के लिए उपयोगी है जो अक्सर थकावट महसूस करते हैं। इसमें विटामिन, मिनरल और एमिनो एसिड होते हैं जो ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं।

  1. मांसपेशीयों की मजबूती :- इसमें प्रोटीन और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं, जो शारीरिक प्रश्रम में सहायक होते हैं और मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करते हैं।
  2. प्रतिरोधक क्षमता :- मोरिंगा इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है जिससे विभिन्न रोगों और संक्रमण से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
  3. हड्डियों की मजबूती :- मोरिंगा में कैल्शियम और फॉस्फोरस अधिक मात्रा में होते हैं, जो हड्डियों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
  4. सेक्स ड्राइव में सुधार :- कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि मोरिंगा टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर को बढ़ा सकता है, जिससे पुरुषों में सेक्स ड्राइव में सुधार होता है।
  5. स्ट्रेस और चिंता से राहत :- मोरिंगा तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है और मानसिक स्थिति को सुधारता है।
  6. डायबिटीज का प्रबंधन :- मोरिंगा रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे डायबिटीज के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

सहजन, जिसे मोरिंगा या ड्रमस्टिक भी कहा जाता है भारत में आम तौर पर उगाया जाता है और इसके अनेक फायदे होते हैं। सहजन का पौधा लगाने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  • जगह का चयन :- सहजन का पौधा अधिकतम धूप में अच्छी तरह से विकसित होता है। इसलिए ऐसी जगह चुनें जहाँ पौधे को प्रतिदिन 6-8 घंटे तक सीधी धूप मिल सके।
  • मिट्टी :- अच्छी नलीकरण वाली जलोद या मिट्टी में सहजन का पौधा अच्छी तरह से बढ़ता है। अत्यधिक बालूमय या चिपचिपी मिट्टी से बचें।
  • बीजों का चयन :- स्थानीय नर्सरी से अच्छे गुणवत्ता वाले बीज खरीदें। बीजों को पानी में 24 घंटे भिगोकर रखें।
  • रोपण :- भिगोए हुए बीजों को 1 इंच गहराई में मिट्टी में बोएं।
  • सिंचाई :- रोपण के समय पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है। जब पौधा विकसित हो जाता है, तो हर सप्ताह एक बार सिंचाई करें।
  • उर्वरक और कीट प्रतिरोध :- पौधे को मजबूती प्रदान करने के लिए नियमित अवसरों पर उर्वरक दें। कीटों से बचाव के लिए प्राकृतिक कीटनाशक का उपयोग करें।

यदि आप बल्कि अंकुरण के माध्यम से पौधा लगा रहे हैं, तो उसे प्रत्येक दिन सिंचें और पूरी तरह से स्थिर होने पर इसे मुख्य जगह पर लगाएं।

सहजन का पौधा तेजी से बढ़ता है और शीघ्र ही फूल और फल पैदा करता है। इसका उपयोग भोजन और औषधियों में किया जाता है, इसलिए इसे सही तरीके से देखभाल करना महत्वपूर्ण है।

मोरिंगा या सहजन का पौधा एक तेजी से बढ़ने वाला पौधा है और इसे समय-समय पर छटाई करने से उसकी उत्तम वृद्धि सुनिश्चित होती है। छटाई से पौधे का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और फलों की अच्छी पैदावार होती है।

  1. सही समय पर छटाई :- मोरिंगा के पौधे को अधिकतम फायदा पहुँचाने के लिए जब पौधा 1 से 1.5 मीटर लंबा हो जाए तब उसकी पहली छटाई करें।
  2. तरीका :- पौधे के शिखर भाग को कटकर निकाल दें ताकि नई डालियाँ बढ़ सकें।
  3. सतही छटाई :- अगर पौधे में बहुत सारी डालियाँ हैं तो उनमें से कुछ को हटा दें ताकि अधिक उर्जा मुख्य शाखाओं में जा सके।
  4. बीमार या मरे हुए डालों को हटाएं :- किसी भी प्रकार की बीमारी या कीट प्रादुर्भाव से प्रभावित डालों को तुरंत काट दें।
  5. सामग्री :- छटाई के लिए तेज़ और साफ़ गार्डन शीयर्स का उपयोग करें, और इसे प्रत्येक बार काटने से पहले साफ़ करें।
  6. पोषण :- छटाई के बाद पौधे को अधिक पोषण की जरूरत होती है। छटाई के तुरंत बाद उर्वरक डालें।

सहजन की छटाई से पौधे में नई जीवनशक्ति आती है और इसे सेहतमंद बनाए रखने में मदद मिलती है। छटाई से पौधे की उत्तम पैदावार भी सुनिश्चित होती है।

सहजन जिसे मोरिंगा या ड्रमस्टिक भी कहा जाता है भारत में प्राचीन समय से ही उसके औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। इसके पेड़ के विभिन्न हिस्से खाने और औषधीय उपयोग के लिए इस्तेमाल होते हैं।
1. पोषक तत्व से भरपूर :- सहजन के पत्ते प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और अन्य मौलिक विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होते हैं।
2. चर्बी कम करने में मदद :- सहजन पेड़ के पत्तों का सेवन वजन कम करने में भी मदद करता है, क्योंकि इसमें फाइबर अधिक होता है जो पेट को भरा हुआ महसूस कराता है।
3. शुगर को नियंत्रित करता है :- सहजन शुगर के मरीज़ों के लिए भी लाभदायक है क्योंकि यह रक्त शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
4. हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है :- सहजन में सीसा, कैल्शियम और फास्फोरस होते हैं जो हड्डियों को मजबूती प्रदान करते हैं।
5. प्रदूषण से बचाव :- सहजन पेड़ प्रदूषण को अवशोषित करने में मदद करता है और हवा को शुद्ध करता है।
6. त्वचा के लिए :- सहजन के पत्तों और फूलों का पेस्ट त्वचा पर लगाने से त्वचा की समस्याओं में राहत मिलती है।
7. बालों के लिए :- सहजन के तेल का उपयोग बालों में किया जाता है, जो बालों को मजबूती प्रदान करता है और उन्हें चमकीला बनाता है।
इस तरह, सहजन का पेड़ हमें कई फायदे प्रदान करता है और इसे हमारे दैनिक जीवन में शामिल करना चाहिए।

जैसा कि हर चीज़ के साथ होता है, सहजन का पेड़ भी कई सारे फायदे प्रदान करता है, परंतु इसके कुछ नुकसान भी होते हैं जो निम्नलिखित हैं:

  • अत्यधिक सेवन :- सहजन के पत्तों या बीज का अत्यधिक सेवन से पेट दर्द, दस्त और अन्य पाचन संबंधित समस्याएँ हो सकती हैं।
  • गर्भवती महिलाओं के लिए :- गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाएँ सहजन के बीज और जड़ का सेवन नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह गर्भपात का कारण बन सकता है।
  • ड्रग्स और दवाओं के साथ प्रतिक्रिया :- सहजन का सेवन कुछ दवाओं जैसे कि एंटी-डायबिटिक ड्रग्स के साथ इंटरएक्शन कर सकता है जिससे रक्त शर्करा का स्तर अत्यधिक कम हो सकता है।
  • स्किन रैशेस :- कुछ लोगों में सहजन का तेल या उसके पत्तों का पेस्ट लगाने से त्वचा में खुजली या रैश हो सकता है।
  • सहजन के तेल का सेवन :- अधिक मात्रा में सहजन के तेल का सेवन करने से ज्यादा कैलोरी और चर्बी की खपत होती है जिससे वजन में वृद्धि हो सकती है।

इस प्रकार सहजन के पेड़ के फायदे होते हैं, परंतु इसके सेवन को सीमित और संतुलित रखना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को सहजन से संबंधित कोई समस्या होती है, तो वह तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

सहजन, जिसे ‘मोरिंगा’ या ‘ड्रमस्टिक’ भी कहते हैं, भारतीय संस्कृति और आयुर्वेद में अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। इस पौधे के लगभग सभी हिस्से औषधीय गुणों से भरपूर हैं।

1. पोषक तत्व से भरपूर :- सहजन के पत्ते में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं।

2. रक्तशुद्धि :- सहजन की पत्तियों का सेवन रक्त को शुद्ध करता है और अनेक प्रकार की त्वचा संक्रमण से बचाव करता है।

3. हड्डियों के लिए :- सहजन में कैल्शियम और फास्फोरस अच्छी खासी मात्रा में होता है जो हड्डियों के विकास और मजबूती के लिए जरूरी है।

4. प्रतिरोधक शक्ति :- सहजन की पत्तियों में उपस्थित एंटीऑक्सिडेंट शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाते हैं।

5. डायबिटीज पर नियंत्रण :- सहजन मधुमेह के रोगियों के लिए भी लाभकारी है, क्योंकि यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है।

6. जोड़ों का दर्द :- सहजन में मौजूद विटामिन E और एंटीऑक्सिडेंट जोड़ों के दर्द में राहत पहुंचाते हैं।

7. आँखों के लिए :- सहजन में विटामिन A की उचित मात्रा होती है जो आँखों के लिए अच्छा है।

8. अन्य फायदे :- यह हृदय के लिए भी फायदेमंद है उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है और अंत में आयरन की कमी को दूर करता है।

सहजन के इन फायदों के बावजूद किसी भी औषधीय पौधे का सेवन करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

  • बीज चुनाव :- सहजन के स्वस्थ और पूरे बीज को चुनें। अच्छे बीज से ही स्वस्थ पौधे की उम्मीद होती है।
  • बीज को भिगोकर रखें :- बीजों को एक रात के लिए पानी में भिगोकर रख दें। यह उन्हें अंकुरित होने में मदद करेगा।
  • मिट्टी का चयन :- अच्छे नलीकरण वाली मिट्टी का चयन करें। सहजन के पौधे के लिए उपयुक्त मिट्टी वह होती है जो पानी को अच्छे से सोख ले।
  • बुआई :- भिगोए गए बीजों को मिट्टी में 1-2 इंच गहराई में बो दें।
  • सिंचाई :- बीज बोने जाने के बाद उसे हल्का पानी दें।
  • धूप और पानी :- सहजन के पौधे को प्रतिदिन सुबह की धूप और नियमित सिंचाई चाहिए।
  • अंकुरण :- आमतौर पर 5-12 दिनों में अंकुराण हो जाता है।
  • स्थल परिवर्तन :- जब पौधा ठोस और मजबूत हो जाए तो आप उसे एक बड़े गमले या ज़मीन में स्थानांतरित कर सकते हैं।
  • नियमित देखभाल :- पौधे को नियमित रूप से पानी दें और उसे साफ रखें।

उत्तरजीवी :- सहजन का पौधा एक उत्तरजीवी है जिसका अर्थ है यह अधिक समय तक जिंदा रहता है।

ऊंचाई :- सहजन का पेड़ 10-12 मीटर तक ऊंचा हो सकता है।

पत्ते :- इसके पत्ते हरे रंग के और पोषण से भरपूर होते हैं।

फूल और फल :- सहजन के पौधे पर सुंदर फूल आते हैं और फिर बाद में लंबे और पतले फल बनते हैं जिसे सहजन की फलियाँ कहते हैं।

औषधीय गुण :- सहजन पौधे में से तेल निकाला जाता है और इसका इस्तेमाल औषधियों में किया जाता है।

पोषण :- सहजन के पत्ते, फलियाँ और बीज बहुत ही पोषण से भरपूर हैं।

जल संचारण :- सहजन का पौधा कम पानी में भी जीवित रह सकता है इसलिए यह सूखा प्रदेशों में भी अच्छा रहता है।

इस प्रकार सहजन का पेड़ एक बहुत ही महत्वपूर्ण पौधा है जो अपनी औषधीय गुणों, पोषण और अन्य उपयोगों के लिए जाना जाता है।

 

  1. सिंचाई :- सहजन को प्रारंभिक चरण में नियमित रूप से पानी देना चाहिए, लेकिन जब वह बढ़ जाए तो इसे सूखने का समय देना होता है।
  2. स्थल :- धूप में अच्छा विकसित होता है, इसलिए ऐसी जगह चुनें जहाँ पूरी दिन धूप पड़े।
  3. मिट्टी :- अच्छी ड्रेनेज वाली मिट्टी में यह अधिक विकसित होता है।
  4. ताजगी बनाए रखें :- जब पत्ते सुखने लगें या पीले हो जाएं, तो उन्हें काट दें।
  5. उर्वरक :- प्रति वर्ष कॉम्पोस्ट या जैविक उर्वरक का उपयोग करें।
  6. रोग और कीट :- सहजन के पत्तों पर प्राकृतिक रसायन लगाकर कीट और बीमारियों से बचाव कर सकते हैं।
  7. प्रुनिंग :- सहजन का पौधा ज्यादा उचाई तक बढ़ सकता है, इसलिए उसे समय-समय पर प्रुनिंग करके आकार में रखना चाहिए।

सहजन एक उत्तरजीवी पौधा है और अगर इसे सही तरीके से देखभाल की जाए तो यह सालों-साल तक रह सकता है। उपर दी गई युक्तियों का पालन करके आप अपने सहजन पौधे को स्वस्थ और मजबूत बनाए रख सकते हैं।

सहजन का पौधा (Moringa oleifera) मुख्य रूप से उच्च तापमान और सूखा प्रतिस्थानीय जलवायु में उगता है। यह पौधा विशेष रूप से दक्षिण एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, जैसे कि भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, और अफ्रीका के साहेली क्षेत्र में।

सहजन अब विश्व भर में अनेक उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय प्रदेशों में उगाया जा रहा है जहां वह अपने पोषक तत्वों और औषधीय गुणों के लिए प्रशंसित है।

सहजन का पौधा सूखने के प्रतिस्थानीय जलवायु में भी अच्छा होता है और यह कम पानी में भी विकसित हो सकता है। इसे जल संकट के समय में भी उगाया जा सकता है। वहाँ जहाँ जमीन में नमकीनता अधिक है, वहाँ भी यह पौधा अच्छा विकसित होता है।

सहजन या मोरिंगा (Moringa) पूरे भारत में अपनी उपयोगिता और पौष्टिकता के लिए जाना जाता है। सहजन की फलियाँ, पत्तियाँ और बीज तीनों ही खाद्य प्रयोजनों के लिए प्रयुक्त होते हैं यहाँ कुछ प्रमुख व्यंजन हैं जिनमें सहजन का उपयोग होता है :-

  1. सहजन की सब्जी :- सहजन की फलियाँ को काटकर मसालों के साथ पकाकर एक स्वादिष्ट सब्जी तैयार की जाती है।
  2. सहजन के पत्तियों की भुर्जी :- इसमें सहजन की पत्तियाँ को बारीक़ काटकर प्याज, टमाटर, अदरक, लहसुन और मसालों के साथ पकाया जाता है।
  3. सहजन और चने की दाल :- इस व्यंजन में सहजन की फलियाँ और चने की दाल को मसालों के साथ पकाकर तैयार किया जाता है।
  4. सहजन के पत्तियों का सूप :- इसमें सहजन की पत्तियाँ, प्याज़, लहसुन, अदरक और अन्य सब्जियाँ डालकर एक पौष्टिक सूप तैयार किया जाता है।
  5. सहजन की पत्तियों के पराठे :- पत्तियों को पिसकर पराठे के आटे में मिला कर ताजगी और पौष्टिकता बढ़ाई जाती है।
  6. सहजन के बीजों का अचार :- सहजन के बीज को अचार बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है।

ये सभी व्यंजन स्वाद में उत्तम होते हैं और साथ ही साथ उनमें सहजन की पौष्टिकता भी समाहित होती है। सहजन की पत्तियाँ और फलियाँ विटामिन, मिनरल्स और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं।

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