- परिचय
- प्रोत्साहन राशि
- ट्रैस मलचिंग
- बीज नर्सरी लगाने पर
- इस स्कीम का लाभ लेने के लिए जरूरी दस्तावेज
गन्ना, सदियों से भारतीय उपमहाद्वीप में एक मुख्य फसल के रूप में उगाया जाता रहा है। इसकी खेती 110 से अधिक देशों में होती है। ब्राजील व भारत मिलकर विश्व के कुल गन्ना उत्पादन का 50 प्रतिशत उत्पादन करते हैं। भारत का गन्ना उत्पादन की दृष्टि से विश्व में दूसरा स्थान है। हमारे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गुणात्मक सुधार लाने में गन्ने की प्रमुख भूमिका है। चीनी एवं कपास उद्योग के बाद कृषि आधारित दूसरा सबसे बड़ा उद्योग चीनी ही है। गन्ना एवं चीनी उद्योग ने केवल 60 लाख किसानों व उनके परिवारों को रोजगार प्रदान करते हैं, बल्कि उनकी आर्थिक समृद्धि व खुशहाली के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने में भी मददगार है। इसके अतिरिक्त चीनी मीलों से रोजगार भी उपलब्ध होता है। देश में वर्ष 2015 -16 में 49.1 लाख हे. क्षेत्र से 69.4 टन/हे. उत्पादकता के साथ 3414.2 लाख टन गन्ने का उत्पादन किया गया। यद्यपि गन्ना की उत्पादन क्षमता 474 टन/हे. आंकी गई है। स्पष्ट है कि उन्नत तकनीक एवं प्रजातियों को अपनाकर गन्ना उत्पादकता में आशातीत वृद्धि की जा सकती है। इससे गन्ना आधारित चीनी उद्योग तथा गन्ना कृषक प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो सकते हैं। गन्ने की उपज में अस्थिरता, बढ़ती उत्पादन लागत, लाभांश में कमी एवं उत्पदकता में गिरावट गन्ना कृषकों के समक्ष प्रमुख चुनौती के मुद्दे बन गए हैं।
नवीनतम कृषि अनुसन्धान के फलस्वरूप विभिन्न क्षेत्रों की जलवायु दशाओं के अनुकूल गन्ने की उन्नत प्रजातियों का विकास किया गया है। इसके अतिरिक्त गन्ना आधारित फसल विविधकरण, उत्पादन तकनीक, श्रमिक लागत में कमी करने के लिए अधिक दक्षता वाले कृषि यंत्रों का विकास, एकिकृत फसल सुरक्षा आदि के समन्वित प्रयोग से कृषकों की वर्तमान आय को आगामी पांच वर्षों में दोगुना कर पाना संभव है।
टेक्नोलॉजी मिशन ऑन शुगर केन स्कीम के तहत नई तकनीकी का प्रयोग कर गन्ने की फसल लगाने वाले किसानों को 500 से पांच हजार रुपये तक अनुदान राशि दी जाएगी योजना का लाभ लेने के लिए 31 अक्टूबर तक किसानों को आवेदन करना होगा। विभाग ने यह योजना गन्ने के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए लागू की है।
जानकारी के अनुसार इस विधि में किसान को अपने खेत में चार फीट लाइन से लाइन की दूरी में गन्ने की बिजाई और गन्ने के बीच में दूसरी फसल गेहूं, सरसों, चना व सब्जियां उगानी होगी। इस विधि से बिजाई करने वाले किसान को प्रति एकड़ 3600 रुपये की अनुदान राशि दी जाएगी। दूसरी ओर कोई किसान चार फुट लाइन से लाइन की दूरी में गन्ने की बिजाई करेगा और इसमें अन्य फसलें नहीं उगाएगा तो उसे प्रति एकड़ 3 हजार रुपये की अनुदान राशि दी जाएगी।
इसके अलावा गन्ने से उतरने वाली पत्ती को न जलाने वाले किसानों को भी 500 रुपये प्रति एकड़ अनुदान राशि उपलब्ध करवाई जाएगी। ट्रैस मलचिंग विधि के तहत किसानों को गन्ने से उतरने वाली पत्ती को जलाना नहीं होगा, उसे खेत में ही बिछाना है। पती गल जाने के बाद भूमि की उपजाऊ शक्ति और फसल की पैदावार भी बढ़ेगी।
इस स्कीम के तहत बीज नर्सरी लगाने के लिए विभाग 5000 रुपये प्रति एकड़ अनुदान सहायता राशि किसानों को देगा। किसानों द्वारा बीज नर्सरी के लिए प्रयोग में लाया गया गन्ने का बीज मोइस्ट होट एयर तथा फफूंदीनाशक से उपचारित किया जाना आवश्यक है। किसानों द्वारा उक्त नर्सरी के लिए गन्ने की बिजाई क्षेत्र के कृषि वैज्ञानिक या सहायक गन्ना विकास अधिकारी की उपस्थिति में की जाएगी। विभाग की तरफ से 800 एकड़ में गन्ना उगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
किसानों को इस स्कीम का लाभ लेने के लिए सबसे पहले किसी भी अटल सेवा केंद्र पर जाकर एग्री हरियाणा डॉट जीओवी डॉट इन पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण करवाना होगा। इसमें कृषि सामग्री का बिल, किराये पर ली हुई मशीन का बिल, दवाइयों का बिल, आधार कार्ड व बैंक अकाउंट कॉपी की प्रति अपलोड करनी होगी।
सहायक गन्ना विकास अधिकारी डॉ. कुलदीप शर्मा ने बताया कि टेक्नोलॉजी मिशन ऑन शुगरकैन स्कीम के तहत किसानों को 500 से लेकर 5000 रुपये तक अनुदान राशि दी जाएगी। किसान पहले आओ, पहले पाओ के तहत इसका लाभ उठाएं। नई तकनीक अपना के किसान ज्यादा उपज तो ले ही सकते है। इसके अलावा गन्ने को कीड़े व बीमारियों से भी बचा कर उन पर होने वाले खर्च को कम करके पैसे बचा सकते है।