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- उद्देश्य
- कोष के कार्यान्वयन संबंधी दिशा-निर्देश
- पात्र उधारकर्ता
- आधिकारिक वेबसाइट
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उद्देश्य
कोष के कार्यान्वयन संबंधी दिशा-निर्देश
पात्र उधारकर्ता
आधिकारिक वेबसाइट
उद्देश्य
- पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (AHIDF) का प्रमुख उद्देश्य दूध और माँस प्रसंस्करण की क्षमता और उत्पाद विविधीकरण को बढ़ावा देना है, ताकि भारत के ग्रामीण एवं असंगठित दुग्ध और माँस उत्पादकों को संगठित दुग्ध और माँस बाज़ार तक अधिक पहुँच प्रदान की जा सके।
- उत्पादकों को उनके उत्पाद की सही कीमत प्राप्त करने में मदद करना।
- स्थानीय उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण दुग्ध और माँस उपलब्ध कराना।
- देश की बढ़ती आबादी के लिये प्रोटीन युक्त समृद्ध खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करना और बच्चों में कुपोषण की बढ़ती समस्या को रोकना।
- देश भर में उद्यमिता को प्रोत्साहित करना और संबंधित क्षेत्र में रोज़गार सृजित करना।
- दुग्ध और माँस उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करना।
कोष के कार्यान्वयन संबंधी दिशा-निर्देश
- पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (AHIDF) के तहत सभी पात्र परियोजनाएँ अनुमानित परियोजना लागत का अधिकतम 90 प्रतिशत तक ऋण के रूप में अनुसूचित बैंकों से प्राप्त करने में सक्षम होंगी, जबकि सूक्ष्म एवं लघु इकाई की स्थिति में पात्र लाभार्थियों का योगदान 10 प्रतिशत, मध्यम उद्यम इकाई की स्थिति में 15 प्रतिशत और अन्य श्रेणियों में यह 25 प्रतिशत हो सकता है।
- पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (AHIDF) के तहत 15000 करोड़ रुपए की संपूर्ण राशि बैंकों द्वारा 3 वर्ष की अवधि में वितरित की जाएगी।
- पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (AHIDF) के तहत मूल ऋण राशि के लिये 2 वर्ष की ऋण स्थगन (Moratorium) अवधि और उसके पश्चात् 6 वर्ष के लिये पुनर्भुगतान अवधि प्रदान की जाएगी, इस प्रकार कुल पुनर्भुगतान अवधि 8 वर्ष की होगी, जिसमें 2 वर्ष की ऋण स्थगन (Moratorium) अवधि भी शामिल है।
- संबंधित दिशा-निर्देशों के अनुसार, अनुसूचित बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि ऋण के वितरण के पश्चात् पुनर्भुगतान अवधि 10 वर्ष से अधिक न हो, जिसमें ऋण स्थगन (Moratorium) अवधि भी शामिल है।
- इसके अलावा भारत सरकार द्वारा नाबार्ड (NABARD) के माध्यम से प्रबंधित 750 करोड़ रुपए के ऋण गारंटी कोष की भी स्थापना की जाएगी।
- इसके तहत उन स्वीकृत परियोजनाओं को ऋण गारंटी प्रदान की जाएगी जो MSMEs की परिभाषित सीमा के अंतर्गत आती हैं।
- ऋण गारंटी की सीमा उधारकर्त्ता द्वारा लिये गए ऋण के अधिकतम 25 प्रतिशत तक होगी।
पात्र उधारकर्ता
- किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)
- निजी कंपनियां
- व्यक्तिगत उद्यमी
- धारा 8 कंपनियाँ
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम
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